आगामी 1 मई2025 को पुरानी पेंशन लागू कराने को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर जाने के लिए सरकारी कर्मियों से किया आवाहन

-दीनबंधु ने कहा कि निमंत्रण नहीं भेजे जाते ,जंग के ऐलान में l योद्धा खुद ही चले आते हैं युद्ध के मैदान में l l
विश्वनाथ आनंद ।
पटना( बिहार)- पुरानी पेंशन को लागू करने को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर सरकारी कर्मी आगामी 1 मई2025 को पहुंचकर सरकार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांगों को रखेंगे. उक्त बातें नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनबंधु ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान कहे. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मियों से आवाहन किया है कि काफी संख्या में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचे. उन्होंने दोहा के माध्यम से कहा है कि निमंत्रण नहीं भेजे जाते जंग के ऐलान में योद्धा खुद ही चले जाते है युद्ध के मैदान में . बताते चलें कि ओल्ड पेंशन मुद्दा लागू करवाने (एन पी एस – यूं पी एस का विरोध ) एवं सरकारी संस्थानो- संपदाओं का संरक्षण एवं विकास ( निजीकरण को रोकने का प्रयास) राष्ट्रीय हित के साथ जनताहित में भी है । इस बात को आम जनता एवं गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार के बड़े – बुजुर्गो ( विशेष कर वह जो पुरानी पेंशन के भरोसे बुढ़ापे में जीवन यापन कर रहे हैं। एवं विशेष रूप से उन नवयुवक ,जो लोग वर्तमान या भविष्य में को सरकारी नौकरी में सेवा के लिए आना चाहते हैं। इसके अलावा यहां तक कि पीढ़ियों बाल्यकाल एवं किशोर अवस्था को भी जागरूक करना चाहिए क्यों कि यह कटु सत्य आज भी है कि एक आम गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार के लोग , सरकारी नौकरी में ही आना चाहते हैं , जिसके पास कोई आमदनी का, बढ़िया कोई स्रोत नहीं है। जैसे बडा कृषि , व्यापार, उद्योग, व्यवसाय, नहीं है। या परिवारिक धंधा नहीं है ,राजनीतिक परिवार से संभव नहीं है या ग़लत तरीके से आय का स्रोत नहीं है या मजबूरी में दैनिक वेतन पर काम कर रहे हैं.
मतलब विकल्प में अन्य कोई अच्छा उपाय नहीं है। दूसरी तरफ झूठे आश्वासन के लिए कुछ कहने को भले कहे ,कि सरकारी नौकरी में क्या रखा है लेकिन सच्चाई अपने हृदय से पूछना चाहिए, विशेष कर उन लोगों को जो, आजकल इस बाजारीकरण माहौल में समाज में रिश्ते की अहमियत खत्म होते जा रहे हैं। जिनके आदरणीय मां -बाप या पेंशन पर या नौकरी पर जीवन यापन कर रहे हैं और उन नौकरी वाले रिटायर्ड लोगों से भी बात कीजिएगा जिनका पेंशन नहीं है आय का अन्य स्रोत नहीं है। यहां तक कि सामाजिक रुप में -सम्बन्धों रिश्तों मे सरकारी नौकरी का महत्व, दिखाई देते हैं ! क्या आउट सोर्सिंग या ठेके पर नौकरी, संविदा विकल्प हो सकता क्या हमेशा के लिए या निजीकरण सही हो सकता है क्या ? ऐसा लगता है कि पिछले कुछ वर्षों से लेकर वर्तमान समय NMOPS- ATEWA विजय कुमार बंधूं जी एवं उनसे जो लोग जुड़े हुए हैNMOPS ATEWA
पेंशन मुद्दे एवं निजीकरण पर विचारधारा बिल्कुल सही है, आम जनता और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए है ।जो लोग सरकारी रोजगार में आने के लिए प्रतियोगियों परीक्षाओं की तैयारी करते हो या सामाजिक रिश्तों में भी सरकारी नौकरी वाले व्यक्तित्व से सामाजिक पारिवारिक रिश्ते बनाना चाहते हैं.दूसरी तरफ़ सन् 2004 के बाद जो लोग भी सरकारी नौकरी में एन पी एस के तहत आये है , उसी में कुछ प्रतिशत पीड़ित एवं कर्तव्यनिष्ठ – कर्मचारीयों का -लोगों का संगठन है ,जो संवैधानिक लोकतांत्रिक तरीके से विभिन्न संगठनो -एसोसिएशन -जन आन्दोलन के माध्यम से ,भी ईमानदारी से पेंशन मुद्दे पर निजीकरण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।दूसरी तरफ बाकी कुछ लोग, सामूहिक मुद्दा समझकर इन दोनों विषयों को नजरंदाज कर रहे हैं। या बोरिंग सब्जेक्ट बोला करते हैं, या चुपचाप रहते हैं ,यह समझकर कि मेरा व्यक्तिगत नहीं है, यह तो सामूहिक मुद्दे हैं, या जो होगा देखा जायेगा । जबकि , यह सब जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में, एन पी एस -ओल्ड पेंशन मुद्दे पर पर होने वाले संघर्ष का, लाभ सभी एन पी एस कर्मचारी साथियों को मिल रहा है । जैसे कि एन पी एस में बदलाव हुआ, फैमिली पेंशन का आप्शन , पैसा निकालने का आसान नियम आदि , सड़क से लेकर,राष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष की देन है पुनः विनम्र निवेदन है कि पेंशन मुद्दे एन निजीकरण रोकने के मुद्दे पर, समझने की जरूरत है. यथासंभव सहयोग की जरूरत है,जब संस्थान ही बचेगा , तो सरकारी नौकरी ही नहीं , सरकारी नौकरी नहीं तो पेंशन नहीं । निजीकरण एवं ठेकेदारी , संविदा विकल्प नहीं है । जय हिन्द.