समाज सेवा के कारण ब्राह्मण समाज के रीढ कहे जाने वाले प्रमोद मिश्रा अखबारों के सुर्खियों में है चर्चित

ब्राह्मण समाज के लिए रीढ साबित हुए प्रमोद मिश्रा- सुधा आनंद.
विश्वनाथ आनंद .
औरंगाबाद( बिहार)- बिहार के औरंगाबाद में ब्राह्मण समाज के रीढ कहे जाने वाले प्रमोद मिश्रा इन दोनों अखबारों के सुर्खियों में चर्चित है. इसका मुख्य कारण है कि ब्राह्मण समाज के लिए कई ऐसे कार्य किए हैं, जो एक मिसाल के रूप में साबित हुआ है. चाहे कल्याणकारी कार्य हो या फिर गरीब परिवारों को मदद करना , हर समाज के लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना भी प्रेरणा रूप में रहा है. मृदुल स्वभाव, निर्भीक एवं शब्दों से पहचान बनाने वाले तथा अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहने वाले प्रमोद मिश्रा ग्राम- धुरिया पिपरा, बारुण, जिला- औरंगाबाद के रहने वाले हैं. इस संबंध में समाजसेवी महिला श्रीमती सुधा आनंद ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान कहा कि प्रमोद मिश्रा ब्राह्मण समाज के लिए ही नहीं बल्कि हर तबके के लोगों के लिए मिसाल साबित हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि श्री मिश्रा ने ब्राह्मण समाज परिवारों के उत्थान के लिए पूरी तरह से कटिबंध रहे हैं .
चाहे गरीब ब्राह्मण के बेटा -बेटियों को शादी विवाह कराने की बात हो, या शिक्षा के प्रति जागरूक करने की बात हो , या फिर मरीज को इलाज के लिए आर्थिक मदद देने की बात हो, या पीड़ित परिजनों को देखभाल करने की बात हो, या सरकारी अस्पताल के लिए जमीन देने की बात हो, सभी कार्यों के लिए अपनी भूमिका निभाते नजर आते रहे हैं. यही कारण है कि श्री मिश्रा अखबारों के सुर्खियों में चर्चित हैं. उन्होंने आगे कहा कि प्रतिष्ठित पत्रिका समकालीन जवाब देही ने श्री मिश्रा को अंग वस्त्र एवं पुष्प का माला पहनाकर तथा बुके देकर सम्मानित किया है. उन्होंने आगे कहा कि श्री मिश्रा समाजसेवी कार्यों के अलावे अधिवक्ता का कार्य भी करते हैं. संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए प्रमोद मिश्रा ने कहा कि आज मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है इसका मुख्य कारण है कि समाज के लोगों के द्वारा मुझे सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह सब मेरे माता-पिता गुरु जनों द्वारा दी गई संस्कार का परिणाम है. उन्होंने ईश्वर को इस कार्य के लिए धन्यवाद देते हुए कहा है कि मुझे इस कार्य हेतु योग बनाया है. उन्होंने कहा कि मानव की सेवा करते हुए धर्म की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है. यही कारण है कि मानवता का परिचय देते हुए ब्राह्मण समाज से लेकर हर तबके के लोगों को एक सूत्र में बांधकर कार्य को करता हूं. जिसका परिणाम मुझे मिल रहा है. उन्होंने कहा कि मानव की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है. उन्होंने मठ मंदिरों को आस्था का केंद्र मानते हैं. जिसका परिणाम है कि ईश्वर भक्ति में भी लीन रहते हैं.