तिरूपति प्रसाद में खङयंत्र सनातन धर्म पर कुठाराघात : डॉ सम्पूर्णानन्द

विश्वनाथ आनंद।
गया (बिहार )-हर दल के दिल मे सत्ता के हवश के अलावे सिर्फ छलावा। अगर दशको से जारी छलावा और शोषण से दूरी बनाना है ,तो अपनी प्राथमिकता पर फिट होने वाली पार्टी को देखना होगा। उक्त बातें आयुर्वेद के प्रसिद्ध चिकित्सक वैध संपूर्णानंद मिश्रा ने तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद पर विज्ञप्ति जारी करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं के साथ निर्लज्जता के साथ जबरदस्त शोषण दसकों से जारी है।इस कुकृत्य मे सभी दलों की भागीदारी एक समान तो है ही,सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन मे उदासीनता बरती और महौल दिन पर दिन घिनौना होता गया। सारे धर्माचार्यों को दृंंढ संकल्प के साथ आगे आना चाहिए और धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर हो रही शोषण अब और नहीं चलने देना चाहिए।उन्होंने कहा कि देश के एक भी दल का कोई एक नेता ने भी उदाहरण के लिए भी एक बार हिंदुओं पर होने वाली अन्याय के खिलाफ आवाज नही उठायी। देश के जीडीपी का छह से सात प्रतिशत राशि मंदिरों से चढावा के द्वारा प्राप्त होता,पर बहुत धूर्तता के साथ इसे मंदिर के बजाय धार्मिक क्षेत्र से बताया जा जाता है।

श्री मिश्रा ने कहा कि संविधान के अनुसार धार्मिक स्त्रोतों से प्राप्त राशि का व्यय धार्मिक कार्यों मे ही हो सकता है। इसी का बहुत धूर्त तरीके से सभी धर्मों के क्रियाकलाप मे खर्च किया जाता है। सोचने वाली बात यह है कि जब किसी भी धार्मिक स्थल से एक फुटी कौडी की प्राप्ति नही होती तो सिर्फ एक धर्म का शोषण धर्मिनिर्पेक्षता का नमूना कैसे बन सकता है? हिन्दू धर्मावलंबियों से पैसा वसूलना और उन धर्मों पर बहाना जिनका एक-एक पल इस धर्म के अस्तित्व को समाप्त करना ही एकमात्र मकसद है। इस अत्याचार पर सुप्रीम कोर्ट को दसको के बीच संज्ञान लेना चाहिए था पर अब नक्कर नेताओ से आश के बजाय धर्माचार्य आगे पढें,हर हाल मे मार्ग प्रशस्त होकर रहेगा।