महान स्वतंत्रता सेनानी शिक्षाविद जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मनाई गई 123 वी में जयंती समारोह
विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार )- महान स्वतंत्रता सेनानी शिक्षाविद् जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की 123 वी जयंती मनाई गई .सर्व प्रथम उनके चित्र पर पुष्प माला चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया .इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अधिवक्ता ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी इतिहास के पन्ना में जम्मू कश्मीर पूर्ण रूप से संविधान लागू कराने के लिए और जम्मू कश्मीर के नागरिकों के समान अधिकार के लिए 23 जून 1953 में प्राणों की आहुति देकर राष्ट्रीय एकता के प्रतीक उनके समर्थन का प्रतीक डॉ मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ. वे एक उच्च शिक्षित और प्रखर बुद्धिजीवी थे.उन्होंने कानून की पढ़ाई की और और बाद में कोलकाता विश्वविद्यालय में कुलपति बने. उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही वे भारतीय राजनीति में भी प्रमुखता से उभरे . वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने और बाद में भारतीय जनसंघ की स्थापना की .जो आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में विशाल वट् वृक्ष के रूप में विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हैं. डॉ मुखर्जी जी जम्मू कश्मीर में दो विधान,दो प्रधान,दो निशान के खिलाफ संघर्ष ने उन्हें राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में स्थापित किया .उनका मानना था कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होना चाहिए और वहां भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने एक देश एक संविधान का नारा दिया .उन्होंने बिना परमिट के जम्मू कश्मीर में प्रवेश किया और गिरफ्तार कर लिए गए.23 जून 1953 को संदिग्ध परिस्थितियों में जेल में उनकी हत्या कर दी गई.देश के ओजस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदीजी के द्वारा 5 अगस्त 2019 को मुखर्जी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए जम्मू कश्मीर से धारा 370, 35ए हटाकर मुखर्जी जी सच्ची श्रद्धांजलि दी. श्रद्धा सुमन अर्पित करने वाले में जिला महामंत्री गोपाल प्रसाद यादव, जिला मीडिया प्रभारी संतोष ठाकुर, जिला व्यापार प्रकोष्ठ संयोजक दीपक पाण्डेय,भाजपा नेता सुनील बंबइया इसका नाम शामिल है.