संविधान गंगा की जलधारा तो, संशोधन उसके घाट हैं : राय साहब

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार )- नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में ऋषिराज सिंह व प्रिंस शुक्ला की पुस्तक के विमोचन के समय सभागार को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय बाबू जी ने कहा कि काशी में गंगा के किनारे बहुत सारे घाट हैं.जबकि गंगा का जल जो हरिद्वार में है ,वही काशी में भी है.ठीक इसी प्रकार संविधान गंगा की भांति है, और इसमें होने वाले संशोधन उसके घाट हैं. उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में जो भी संविधान संशोधन हुए हैं ,वह नए घाट के समान हैं.लेकिन इससे पूर्व की सरकारों ने अपने व्यक्तिगत, दलीय महत्वकांक्षा औरबदनीयती को आत्मसार करने के लिए बहुत संशोधन किए. राय साहब ने आपातकाल के समय इंदिरा गांधी के प्रधानमन्त्री चुनाव को चुनौती नहीं दिए जा सकने वाले संविधान संशोधन को भी रेखांकित किया.उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि कैसे यूपीए सरकारों ने जनहित में संविधान संशोधन करने की बजाय अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए किया.


मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित रहे कानून व न्याय मंत्री भारत सरकार अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ऋषिराज और प्रिंस बधाई के पात्र हैं. इन्होंने अपने छात्र जीवन में ही इतने शानदार मुद्दे पर किताब लिख डाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अब तक का कार्यकाल जनता को ही समर्पित रहा है.उन्होंने पुस्तक में हुए 35ए का भी जिक्र किया.उन्होंने कहा कि इसमें दोनों लेखक लिखते हैं की 35ए को संविधान में बिना किसी संशोधन के जोड़ा गया. यह अपने आपमें एक शोध का विषय है.उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में नारी शक्ति वंदन अधिनियम का भी उल्लेख हुआ है.यह काम देवगौड़ा जी के समय से ही हो रहा था .लेकिन मोदी सरकार ने इसको पारित करने का काम किया.नारी शक्ति वंदन अधिनियम से महिलाओं की 33 प्रतिशत ,जब लोकसभा और राज्यों के विधानसभा में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगी,तब देखिएगा की इसका प्रभाव कितना क्रांतिकारी बदलाव लाएगा.इस कार्यक्रम में कुछ गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे.जिसमें भारतीय बार काउंसिल के चेयरमैन मनन मिश्रा, वरिष्ठ अधिवक्ता माननीय सर्वोच्च न्यायालय गोविंद गोयल, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के सचिव श्रीहरि बोरिकर , बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला, प्रज्ञा संस्थान के सचिव राकेश सिंह आदि प्रमुख थे. कार्यक्रम का मंच संचालन का कार्य शेखर सुमन ने किया. वहीं कार्यक्रम में युक्ता ठाकुर, संस्कृति मिश्र, मैथिली मिश्र, अमृत राज पांडे , आर्य गौतम चौबे, विष्णुकांत पांडे, आशीष, अरिमर्दन दुबे आदि के साथ भारी संख्या में विद्यार्थी भी उपस्थित रहे. उक्त जानकारी औरंगाबाद के वरिष्ठ लेखक राकेश कुमार ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान कही .