रेलवे लाइन निर्माण कम्पनी अपना मशीनरी छोड़ हुआ फरार,कर्मियों का वेतन अटका
संतोष कुमार ।
प्रखण्ड क्षेत्र में तिलैया-कोडरमा रेलखण्ड का निर्माण कार्य कई कम्पनियां मिलकर कर रही है।कम्पनियों का अपना-अपना क्षेत्र आवंटित है।सभी कम्पनियों के विभिन्न प्रकार के काम हैं।जिसमें किसी को टनल सम्बंधित काम करना है,तो किसी को रेलवे लाइन बिछाना है।इस दौरान टी-1 पॉइंट पर काम कर रहे मुम्बई की शिल्पी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक कम्पनी कार्य को अधूरा छोड़कर भाग गई है।जबकि उस कम्पनी का सारा मशीनरी कार्यस्थल पर ही पड़ा हुआ है।वहीं कंपनी में कार्य करने वाले दर्जनों सिविल इंजीनियर,मशीन ऑपरेटर एवं हेल्पर का वेतन भी बकाया है।वहीं कर्मियों के अलावे कई छोटे-छोटे ठेकेदारों का भी पैसा रेलवे निर्माण कार्य में अटका पड़ा है।शिल्पी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करने वाले सिविल इंजीनियर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी प्रमोद कुमार ने कहा कि वे कंपनी में काम कर रहे थे।किंतु कंपनी अचानक काम करवाना बन्द कर दी है।जिससे उनका वेतन भुगतान अबतक नहीं हो पाया है।वे अपने वेतन भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि कई स्थानीय कर्मी तो काम छोड़कर अपने घर भी चले गयें है।जबकि बिहार के गया जिले के मशीन ऑपरेटर मो शहनवाज के अलावे दर्जनों हेल्पर आदि अभी भी कार्यस्थल पर अपने बकाए वेतन भुगतान के लिए इंतजार कर रहे हैं।सिविल इंजीनियर ने यह भी कहा कि झारखण्ड के एक विजय कुमार नामक ठेकेदार हैं,उनका भी काफी पैसा बकाया है।उन्होंने कहा कि कम्पनी के डाइरेक्टर उनी कृष्णा,प्रोजेक्ट मैनेजर मुरली और जेनरल मैनेजर नारायण आदि से कई बार फोन के माध्यम से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया।किन्तु उधर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।जिसका परिणाम है कि दर्जनों कर्मी अब भी बकाये वेतन के इंतजार में कार्यस्थल पर दिन गुजारने को मजबूर हैं।वहीं मशीनों एवं अन्य सामान की देखभाल कंपनी के कुछ कर्मियों द्वारा किया जा रहा है।रेलवे निर्माण कंपनी के भाग खड़े होने से निर्माण कार्य भी बाधित है एवं कर्मी अपने बकाये वेतन के भुगतान हेतु लालायित हैं।