दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना में रामानंद शर्मा का योगदान भुलाया नहीं जा सकता

मनोज कुमार ।
बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय संघर्ष समिति के टी का री अनुमंडल के संयोजक, पूर्व प्रमुख, पूर्व मुखिया, पूर्व जिला पारिषद सदस्य, पूर्व अध्यक्ष भूमि विकास बैंक टी का री रहे रामानंद शर्मा की 12 वीं शहादत दिवस पर उनके चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात्‌ उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, महासचिव मुद्रिका सिंह नायक, बाल्मीकि प्रसाद, बृजमोहन शर्मा, श्रीकांत शर्मा ई हिमांशु शेखर, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, रामचंद पासवान, जागरुक यादव, आदि ने कहा कि आज से 12 वर्ष पूर्व रामानंद शर्मा एवं श्रवण सिंह संघर्ष समिति द्वारा पटना गांधी मैदान के समीप कारगिल चौक पर आयोजित महा धरना में शामिल होने जाते समय पटना जिला के गौरी चक के समीप जीप एवं ट्रक की सीधी टक्कर में दोनों की मौत हो गई थी, तथा बाल्मीकि प्रसाद, बृजमोहन शर्मा प्रो मुद्रिका सिंह नायक, तथा श्रीकांत शर्मा घायल हो गए थे।


नेताओं ने कहा कि टीका री की ऐतिहासिक धरती पर दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण गया जिला के सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठन, एवं आमजन के संघर्ष का परिणाम है, क्योंकि उस समय जब संघर्ष चरम पर था, तो सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया के लोगों कहे थे कि ज्यादा लार न टपकाए, गया जिला में किसी हाल में केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण नहीं होगा, लेकिन गया वासियों का संघर्ष, रामानंद शर्मा एवं श्रवण सिंह की शहादत, तथा तत्कालीन केंद्र की यू पी ए सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति रंग लाया और गया जिला में रक्षा विभाग के 350 एकड़ भूमि में दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, जो आज बिहार के प्रथम और देश के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एक है।
नेताओं ने स्थापना के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान किए गए वादों के अनुसार इसके विशाल परिसर में केन्द्रीय विद्यालय, राष्ट्रीय स्तर के मेडिकल कालेज एवं इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की मांग केंद्र सरकार से किया है।