भाजपा-जदयू ने बिहार के वैश्य समुदाय को ना-ना कर दिया—-

Sanjay Verma.

अखिल भरतीय वैश्य महासम्मेलन अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन वैश्य चेतना समिति बिहार वैश्य महासभा और न जाने कितने वैश्य संगठन कागज पॉकेट और शायद जमीन पर हैं भी या नहीं भी इन संगठनों या कहें इन दुकानों के दुकानदार अधिकांश भाजपा या जदयू से जुड़े हैं लोकसभा चुनाव टिकट बंटने से पहले सीतामढ़ी से जदयू के सांसद सुनील पिंटू और भाजपा से शिवहर की सांसद रमा देवी का टिकट काट दिया गया पर इस दुकानदारों ने बकार तक नहीं निकाली फिर आज जदयू ने अपने 16 उम्मीदवार घोषित कर दिया जिसमें वैश्य समाज को एक टिकट नहीं दिया प्रतिक्रिया के लिये दो भाजपा के वैश्य विधायको को मोबाइल लगाया चौरसिया जी को मेरे सवाल पर सांप सूंघ गया तो महासम्मेलन वाले जायसवाल जी लम्बा बोकराती झाड़ गए लब्बो लुआब यह कि पल्ला झाड़ गए अब भाजपा की बात करे तो बेतिया से डॉ संजय जायसवाल का एकमात्र टिकट पक्का है।

दूसरे किसी सीट पर प्रमोद कुमार को टिकट देने पर विचार हो रहा यदि यह हो जाय तो एनडीए से मात्र दो टिकट समाज को मिलेगा एनडीए के सीट बंटवारे का जो तस्वीर उभर कर आया है उसमें कुशवाहा राजपूत भूमिहार अन्य पिछड़ी जातियों को 4 से 5 सीट दिया जाएगा इन जातियों की आवादी दशमलव से लेकर 3%से ज्यादा नहीं जबकि तेली कलवार सोनार लोहार बढई सोनार ठठेरा समेत 56 उपजातियों की आवादी बिहार में करीब 23%से अधिक है जिन्हें जातीय सर्वे में खण्ड खण्ड बांट कर गिनती एक साज़िश के तरह कराया गया वैश्य समाज अपना अधिकांश मत ट्रेडिशनली भाजपा को दशकों से देती आ रही जिसे भाजपा बंधुआ मजदूर के अलावा कुछ नही समझती मात्र दो टिकट इतनी बड़ी आबादी को मतलब माल महाराज का मिर्ज़ा खेले होली इसपर वैश्य के दुकान संचालको का न बोलना यह जाहिर करता है कि वो नामर्द हिजड़ा नपुंसक हैं उनके मुह में जुबान तक नही है वो खुद के स्वार्थ में अंधे हैं और समाजहित के नाम पर अपना स्वार्थ साधते हैं वैश्य समाज को खुद ही निर्णय लेना पड़ेगा किसे अपना समर्थन वोट दें न दें सीखना हो तो अन्य जातियों से सीखें जहाँ उनके समाज का उम्मीदवार जिस पार्टी से हो जाएं उन्हें जिताएं समाज को निर्णय हालात को देख लेना ही पड़ेगा वरना इतिहास कभी माफ नहीं करेगा समाज विभिन्न संगठनों के उन बगुला भगत नेताओं को भी सबक सिखाये वाहिष्कार करे जो वैश्य के नाम पर रंगुआ सियार या शुतुरमुर्ग बन अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।
इस बीच भाजपा ने अपने सभी 17 उम्मीदवारों के नामो की घोषणा कर दी जिसमे बेतिया सांसद डॉ संजय जायसवाल के अलावा वैश्य समाज से कोई उम्मीदवार नही बनाया गया मतलब एनडीए महज 1 सीट देकर समाज का 23%वोट हासिल कर अन्य जातियों के उम्मीदवारों को जीताना चाहती पर ऐसा सम्भव है ?

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