छह लाख से अधिक आबादी ने किया फाइलेरियारोधी दवा सेवन जिला के 16 प्रखंडों में चल रहा है सर्वजन दवा सेवन अभियान दवा सेवन करने वाले प्रखंडों में कोंच व टिकारी शीर्ष स्थान पर अभियान में सहयोग के लिए हाथीपांव मरीजों के भी बढ़े कदम दवा सेवन के लिए कर रहे प्रेरित, भ्रांतियों से दूर रहने की अपील

मनोज कुमार,

गया, 19 फरवरी: जिला में सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान अब तक छह लाख से अधिक आबादी ने दवा का सेवन किया है. इनमें बच्चे, बुजुर्ग और युवा शामिल हैं. योग्य लक्षित लाभार्थियों को स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा घर—घर जाकर फाइलेरियारोधी दवा खिलायी जा रही है. दवा सेवन के लिए कुल लक्षित आबादी तीस लाख दो हजार 972 है. इसका 24 प्रतिशल लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है.

दवा सेवन में शीर्ष पर कोंच और टिकारी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया कि 16 प्रखंडों में चल रहे इस अभियान में छह लाख 92 हजार 910 लोगों ने दवा का सेवन कर लिया है. दवा सेवन करने वाले प्रखंड में कोंच और टिकारी शीर्ष पर है. कोंच में 96 हजार से अधिक लोगों ने दवा का सेवन किया है. वहीं टिकारी प्रखंड में 81 हजार से अधिक लोगों ने दवा का सेवन किया है. आमस में 57 हजार, बेलागंज में 54 हजार, बोधगया में 64 हजार, मोहरा में 50 हजार तथा वजीरगंज में 51 हजार से अधिक लोगों ने दवा का सेवन किया है. ये प्रखंड सबसे अधिक दवा सेवन करने वाले प्रखंडों में शामिल हैं. आंबेडकरनगर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 10 हजार से अधिक योग्य लाभुकों ने दवा का सेवन किया है.

फाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों का मिला सहयोग:
इस अभियान में हाथीपांव ग्रसित मरीजों की भी भरपूर मदद मिल रही है. हाथीपांव मरीजों द्वारा तैयार नेटवर्क के सदस्य आमजन से रोग की गंभीरता और फाइलेरियारोधी दवा सेवन के महत्व पर चर्चा कर रहे हैं. सदर प्रखंड तथा मानपुर में ऐसे मरीज आशा के सामने ही ग्रामीणों को दवा सेवन कराने में सहयोग कर रहे हैं. रोग के कारण अपने जीवन की दुश्वारियां भी साझा कर रहे हैं ताकि लोगों को इस रोग की गंभीरता को समझ सकें.

लोग स्वस्थ्य रहे, जीवन नहीं हो प्रभावित:
हाथीपांव ग्रसित मरीज नंदू पासवान, उदय साव और सरयू लाल बताते हैं कि हाथीपांव के कारण उनका आर्थिक व सामाजिक जीवन प्रभावित हुआ. लोग स्वस्थ्य रहें इसी उद्देश्य के साथ लोगों तक पहुंच दवा सेवन की अपील कर रहे हैं. कई ग्रामीणों का कहना है कि हाथीपांव के बारे में जानकारी बढ़ी है. फाइलेरिया ना सिर्फ विकलांगता को जन्म देता है बल्कि उससे कुरुपता भी आती है. स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही सभी दवा का सेवन कर रहे हैं.

रोग से जुड़ी भ्रांतियों को भी कर रहे दूर:
हाथीपांव मरीज सरयू लाल ने बताया कि हाथीपांव से जुड़ी भ्रातियों को भी दूर किया जा रहा है. हाथीपांव रोग ना तो किसी पूर्व जन्म में किये पाप का परिणाम है और ना ही यह अमीरी—गरीबी, धर्म, समुदाय देखता है. यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है. संक्रमण के पांच से दस साल बाद दिखते हैं. मंहगा से मंहगा इलाज सिर्फ पैसे का खर्च है लेकिन हाथीपांव ठीक नहीं हो सकता है. इससे बचाव का उपाय एकमात्र फाइलेरियारोधी दवा का सेवन है.