भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा ने प्रो. पाठक जी के निधन को समाज के लिए बताया अपूरणीय क्षति- डॉक्टर विवेकानंद मिश्रा
विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार)-गया जिला के दरियापुर-संडा निवासी धर्मप्रवाचक पंडित दिगंबर नाथ पाठक के सुपुत्र, प्रसिद्ध मगही साहित्यकार प्रो शेष आनंद मधुकर का दिनांक- 15 दिसम्बर को हजारीबाग में निधन हो गया. बताते चलें कि दिनांक- 8 अगस्त, 1939 में जन्में मधुकर जी ने मैथन सहित कई महाविद्यालयों में काम किया और बिनोवा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के हिंदी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वर्ष 2016 में मगही भाषा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी के “भाषा सम्मान” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.मधुकर जी की प्रमुख कृतियों में एकलव्य, भगवान बिरसा, हथेली पर सूरज तथा मगही साहित्य में “मगहे भुलायल हे” आदि शामिल हैं.उनके निधन से मग समाज ने एक प्रमुख “साहित्य पुरोधा” खो दिया ,जिसकी भरपाई दूर-दूर तक संभव दिखाई नहीं पड़ती है. विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में जाने-माने सम्मानित साहित्यकार महासभा के वरिष्ठ संरक्षक राधा मोहन मिश्र माधव, स्वामी सत्यानंद गिरी, आचार्य वल्लभ जी महाराज स्वामी गोपालाचार्य जी, वृंदावन विक्रम शर्मा अधिवक्ता, जोधपुर हाई कोर्ट धनेश चंद्र मिश्र, बीकानेर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विवेकानंद मिश्रा, डॉक्टर बी एन पांडे, प्रोफेसर उमेश चंद्र मिश्रा , शिवचरण डालमिया, डॉ ज्ञानेश भारद्वाज, दीपक पाठक, अपराजिता मिश्रा, रंजीत पाठक, अरुण ओझा, राजेश त्रिपाठी, अमरेंद्र तिवारी, प्रेमलता चौबे, विश्वजीत चक्रवर्ती,किरण पाठक ,रवि भूषण पाठक, डॉक्टर मंटू मिश्रा, पवन मिश्र, अच्युत मराठे, शंभू गिरी, सुनील गिरी ,डॉ राजेंद्र मिश्रा ,डॉक्टर परमेश्वर प्रसाद मिश्र ,डॉक्टर विनोद मिश्र ,डॉ प्रताप नारायण मिश्रा, आशुतोष मिश्रा ,गणेश मिश्रा ,मनीष मिश्रा, कुंदन मिश्रा ,कौशल किशोर उपाध्याय, रुकमणी नारायण पाठक, प्रियांशु मिश्रा, डॉक्टर मृदुला मिश्रा, प्रियंका मिश्रा आदि उल्लेखनीय है .जिन्होंने ने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने तथा इस दुख की घड़ी में उनके तमाम परिवार सहित बड़ी संख्या में शुभचिंतकों को धैर्य धारण की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.ओम् शांति.