जनसामान्य विशेषकर गरीब एवं निःसहाय व्यक्तियों के बचाव हेतु समुचित प्रबंध करना सुनिश्चित किया जाय

मनोज कुमार ।

गया,  ज़िला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम ने पत्र जारी करते हुए सभी अनुमंडल पदाधिकारी, सभी नगर निकाय के पदाधिकारियों, अंचलाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि गया जिला में सामान्यतः माह दिसम्बर से जनवरी के बीच ठंड की व्यापकता और तीक्ष्णता कभी-कभी प्रचण्ड एवं भयावह शीतलहर का रूप ले लेती है। इस वर्ष भी ठंड प्रारम्भ होने के कारण जिला में तापमान गिरता जा रहा है तथा निकट भविष्य में शीतलहर का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। अवगत है कि प्रायः शहरी/ अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में बसे गरीब, निःसहाय एवं आवासहीन (Homeless) व्यक्ति विशेष रूप से शीतलहर से प्रभावित होते हैं।
उक्त आलोक में शीतलहर / पाला से बचाव हेतु निम्नांकित तैयारी एवं जनसामान्य विशेषकर गरीब एवं निःसहाय व्यक्तियों के बचाव हेतु समुचित प्रबंध करना सुनिश्चित किया जाय :-

1. स्वास्थ्य और चिकित्सा :- जान-माल की क्षति को कम करना और शीतलहर से संबंधित बीमारियों को रोकना सर्वोच्च प्राथमिकता है। सिविल सर्जन, गया को निदेश दिया जाता है कि शीतलहर के प्रभावों से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे।

2. कृषि :- शीतलहर / पाला का कृषि पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है, जिससे फसल की क्षति होती है। जिला कृषि पदाधिकारी, गया को निदेश दिया जाता है कि शीतलहर /पाला से होने वाली फसल क्षति से बचाव हेतु समुचित व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे।

3. पशुधन की सुरक्षा :- शीतलहर / पाला से पशुधन की भी क्षति होती है। अतएव शीतलहर/पाला से पशुओं की सुरक्षा आवश्यक है, क्योंकि पशुपालन बड़ी संख्या में परिवारों की आजीविका का हिस्सा है। जिला पशुपालन पदाधिकारी, गया को निदेश दिया जाता है कि समुचित व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे।

4. ऊर्जा :- शीत लहरों के प्रबंधन में ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण है। निर्बाध बिजली आपूर्ति / आन्तरिक वातावरण को गर्म रखने में मदद करती है, और यह चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी मदद करती है। कार्यपालक अभियंता, शहरी/ग्रामीण, विद्युत विभाग, गया को निर्देश दिया जाता है कि समुचित व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे।

5. परिवहन और यातायात प्रबंधन :- शीतलहर के दौरान कोहरे / धुंध के मद्देनजर सुरक्षात्मक उपाय कराते हुए यातायात के नियमों का पालन कराना आवश्यक है। जिला परिवहन पदाधिकारी, गया को निदेश दिया जाता है कि समुचित व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे।

6. निरीक्षण एवं अनुश्रवण :- रैन बसेरों, अन्य शरण स्थलों (यदि कोई हो) एवं अलाव जलाने वाले स्थलो का समय-समय पर निरीक्षण एवं सघन अनुश्रवण किया जाना आवश्यक है। नगर आयुक्त, नगर निगम, गया/सभी अनुमंडल पदाधिकारी, गया जिला/सभी अंचल अधिकारी, गया जिला/कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, शेरघाटी/बोधगया/टिकारी, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, फतेहपुर /वजीरगंज/खिजरसराय/डोभी / ईमामगंज को निदेश दिया है कि समय-समय पर रैन बसेरों को निरीक्षण एवं सघन अनुश्रवण करना सुनिश्चित करेंगे।

7. रैन बसेरों:- शहरी क्षेत्रों में रिक्शा चालकों, दैनिक मजदूरों, असहायों आवास विहिन एवं सदृश्य श्रेणी के ऐसे गरीब निःसहाय व्यक्तियों के रहने हेतु रैन बसेरों में समुचित व्यवस्था नगर निगम नगर निकाय करेंगे। सभी अनुमंडल पदाधिकारी, गया जिला को निदेश दिया जाता है कि अपने क्षेत्रान्तर्गत रैन बसेरा की व्यवस्था का औचक निरीक्षण एवं अनुश्रवण करना सुनिश्चित करेंगे।

8. कम्बल वितरण :- आवासहीन गरीबों / रिक्शा चालकों / दैनिक मजदूरों / निःसहाय व्यक्तिर एवं ऐसे सदृश्य श्रेणी के लोगों के बीच आवश्यकतानुसार कम्बल का भी वितरण किया जाय। कम्बल की व्यवस्था समाज कल्याण विभाग द्वारा भी की जायेगी। सभी अनुमंडल पदाधिकारी, गया जिला/सभी अंचल अधिकारी, गया जिला/सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, गया जिला को निदेश दिया जाता है कि उपरोक्त श्रेणी के लोगों के बीच आवश्यकतानुसार कम्बल का वितरण करना सुनिश्चित करेंगे।

9. अलाव की व्यवस्था :- गरीब एवं निःसहाय व्यक्तियों को शीतलहर के प्रकोप से बचाने हेतु आवश्यकता के अनुरूप अलाव ऐसे स्थानों पर जलाया जाय, जहाँ असहाय लोग निवास करते हो या एकत्र होते हो यथा धर्मशालाएँ, अस्पताल परिसर, रैन बसेरा, मुसाफिरखाना, रिक्शा एवं टमटम पड़ाव, चौराहा, रेल/ बस स्टेशन इत्यादि स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में अलाव की व्यवस्था की जाय। आज से ही सभी सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था करवाना सुनिश्चित किया जाय। सभी अनुमंडल पदाधिकारी, गया जिला/सभी अंचल अधिकारी, गया जिला को निदेश दिया जाता है कि अलाव की व्यवस्था का प्रोपर निगरानी करेंगे।

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