टनल में फंसे सुशील शर्मा का घर पहुंचने पर गाजे बाजे के साथ स्वागत, परिजनों के खिल उठे चेहरे
दिवाकर तिवारी ।
रोहतास। उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 17 दिनों तक फंसे रहे तिलौथू प्रखंड के चंदनपुरा गाँव निवासी सुशील शर्मा शुक्रवार को सुरक्षित अपने घर पहुंच गए। सुशील शर्मा के अपने पैतृक गाँव पहुंचते हीं उन्हें देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी तथा स्थानीय पदाधिकारी व गाँव वालों ने ढोल नगाड़े के साथ उनका स्वागत किया। परिवार के सदस्य उन्हें गले लगाने के लिए बेताब दिखे तथा सुशील शर्मा भी अपनों को देखकर भावुक हो गए। मजदूर सुशील शर्मा के गांव लौटने की सूचना पर पहुंचे स्थानीय अधिकारियों ने सबसे पहले उन्हें पंचायत सरकार भवन ले जाकर फूल माला से स्वागत किया। जिसके बाद बिहार सरकार की तरफ से उन्हें श्रम कार्ड दिया गया।
ज्ञात हो कि उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल का एक हिस्सा ढह गया था। जिसके कारण टनल के अंदर हीं 41 मजदूर फंस गए। इनमें बिहार के भी पांच मजदूर शामिल थे। जिन्हें शुक्रवार की सुबह पटना एयरपोर्ट से अधिकारियों के साथ सुरक्षित घर पहुंचाया गया।
सुशील शर्मा जब अपने पैतृक गांव पहुंचे तो उनके चेहरे के भाव अब भी उस मंजर की गवाही दे रहे थे। उन्होंने बताया कि सभी ने आस छोड़ दी थी। लेकिन फिर भी सभी मजदूर एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहते थे। 18 घण्टे बाद जब ऑक्सीजन मिली तो जिंदगी की उम्मीद जगी और मुरही खाकर एक-एक पल गुजारे। वहीं इस दौरान उन्हें बिहारी होने का दर्द भी हुआ। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों ने अपने-अपने मजदूरों से बात की लेकिन बिहार सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। 17 दिन तक टनल में फंसे रहने के बाद सुशील के घर लौटने पर उनकी पत्नी गुड़िया देवी ने पति को देखा तो उनकी आंखें भर आई। उन्होंने बताया कि जब उनके पति फंसे थे तो बच्चे बार-बार पूछते थे मम्मी पापा कब आएंगे, वह हर बार बच्चों को दिलासा देती थी बेटा जल्दी आ जाएंगे। आज उनके घर लौटने से सब कुछ मिल गया है।
मामले में तिलौथू बीडीओ संजय कुमार एवं श्रम प्रवर्तन अधिकारी मनोहर चौधरी ने बताया कि सुशील कुमार को लेबर कार्ड सौंप दिया गया है तथा सरकारी स्तर से मिलने वाले विभिन्न योजनाओं से भी प्राथमिकता के आधार पर उन्हें लाभान्वित किया जाएगा।