बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कुछ हठधर्मी किसान फसल अवशेष जलाने से बाज नही आ रहे है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

मनोज कुमार,

● पराली जलाने के आरोप में 12 किसानों के पंजीकरण को अवरूद्ध किया गया
● पंजीकरण ब्लाॅक कर दिये जाने के कारण किसान नही ले सकेंगें कृषि योजनाओं का लाभ
● इन किसानों के विरूद्ध पर्यावरण प्रदूषित करने के आरोप में करायी जा सकती है प्राथमिकी।
● पराली नही जलाने हेतु सभी प्रखंडों में लगाया गया है फ्लैक्स बैनर/होर्डिंग।
गया-बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कुछ हठधर्मी किसान फसल अवशेष जलाने से बाज नही आ रहे है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारी मिट्टी में पहले से ही जैविक कार्बन कम है। फसल अवशेष जलाने से जैविक कार्बन भी जलकर नष्ट हो जाते है। जिन खेतो में फसल अवशेष जलाया जाता है, उन खेतो में मौजूद सभी लाभदायक सुक्ष्मजीवी भी मर जाते है। फसल अवशेष जलाने से सांस लेने में तकलीफ, आँखो में जलन तथा नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है। इस संबंध में बार-बार जागरूक करने के बावजूद कुछ किसान फसल अवशेष जला देते है। फसल अवशेष जलाने वाले किसानों का पंजीकरण संख्या अवरूद्ध (BLOCK) कर दिया गया है।
किसान अपने पंजीकरण संख्या की सहायता से ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान, कृषि इनपुट अनुदान, बीज अनुदान, कृषि यंत्रो पर अनुदान ले सकता है। इसके अलावा पैक्सों को धान/गेंहूँ आदि की बिक्री हेतु आॅनलाइन सिर्फ वे किसान कर सकते हैं, जिन्हे किसान पंजीकरण संख्या कृषि विभाग से आवंटित है। फसल अवशेष जलाने के कारण जिन किसानों का पंजीकरण अवरूद्ध (BLOCK) कर दिया गया है, वे अब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि सहित कृषि विभाग की किसी भी योजना का लाभ नही ले सकेगे, न ही वे अपने धान की बिक्री पैक्सों को कर सकेंगे।
पराली जलाने के आरोप में 12 किसानों के पंजीकरण को अवरूद्ध किया गया जिनमें गया नगर के एक, बोधगया के 04, मोहनपुर के एक, कोच के तीन एवं मानपुर के 04 किसान शामिल हैं।

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