गाय व भैंसों में तेजी से फैल रहा विषाणु जनित संक्रमित लंपी रोग,पशु पालक परेशान
संतोष कुमार l
रजौली- प्रखण्ड के गाय व भैंसों में तेजी से विषाणु जनित लंपी रोग तेजी से फैल रहा है।वहीं प्रखण्ड मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय में लंपी रोग के उपचार को लेकर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है।जिससे गौपालकों में काफी परेशान हैं।मिली जानकारी के अनुसार प्रखण्ड के कई क्षेत्रों में लंपी रोग से पीड़ित गायों की मौत भी हो चुकी है।वहीं गौपालक लालो महतो ने बताया कि मेरी गाय के शरीर में फोड़ा हो गया है।वहीं रजौली स्थित पशु चिकित्सालय में जाने पर अस्पताल कर्मी द्वारा किसी प्रकार की उचित जानकारी नहीं दी गई।
क्या है लंपी रोग-
लंपी एक त्वचा रोग है जो वायरस से फैलता है और गाय-भैंसों में प्रमुखता से असर करता है।यह वीषाणु जनित संक्रामक रोग है, इसीलिए बेहद खतरनाक होने के साथ इलाज में भी देरी होती है। पशुओं में यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है और इसके लिए वह खास माध्यम का सहारा लेता है। अगर कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके शरीर पर परजीवी कीट,किलनी, मच्छर,मक्खियों से और दूषित जल,दूषित भोजन और लार के संपर्क में आने से यह रोग अन्य पशुओं में भी फैल सकता है।इस रोग से प्रभावित पशुओं में मृत्यु दर बहुत कम होती है और सामान्य तौर पर दो से तीन हफ्ते में पशु स्वस्थ हो जाता है।लंपी बीमारी जूनॉटिक नहीं है।इसलिए पशुओं का संक्रमण इंसानों में नहीं फैलता।
क्या हैं रोग के लक्षण-
लंपी वायरस से संक्रमित पशु को हलका बुखार रहता है।मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है।पशुओं के लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन रहती है।संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है।गर्भित पशु में गर्भपात का खतरा रहता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है।
पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेमी आकार की कठोर गठानें बन जाती हैं।
रोकथाम व बचाव के उपाय-
लंपी रोग से पीड़ित संक्रमित पशु को स्वस्थ होने तक पशुओं के झुंड से अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले।कीटनाशक और बिषाणुनाशक से पशुओं के परजीवी कीट,किल्ली,मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट कर दें।
पशुओं के रहने वाले बाड़े की साफ-सफाई रखें।जिस क्षेत्र में लंपी वायरस का संक्रमण फैला है,उस क्षेत्र में स्वस्थ पशुओं की आवाजाही रोकी जानी चाहिए।
किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।संक्रमित क्षेत्र में जब तक लंपी वायरस का खतरा खत्म न हो,तब तक पशुओं के बाजार मेले आयोजन और पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगनी चाहिए।स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न लगे।
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक-
इस बाबत पर पशु चिकित्सक डॉ रंजीत कुमार ने बताया कि लंपी रोग के विषय सरकारी कोई गाइडलाइंस नहीं मिला है।हालांकि लंपी रोग के शिकायत मिलने पर पशुओं का इलाज किया जा रहा है।इलाज के दौरान कुछ दवाएं अस्पताल में मौजूद हैं,वहीं कुछ दवाओं को बाहर से भी मंगवाया जा रहा है।इलाज के दौरान बहुत सारे पशुओं को ठीक किया जा चुका है।साथ ही कहा कि मेरे जानकारी में लंपी रोग से पीड़ित किसी भी गाय अथवा भैंस की मौत नहीं हुई है।उन्होंने आमलोगों से अपील किया कि वे लंपी रोग से पीड़ीत पशु को सरकारी अस्पताल लाएं।