दो बच्चों के जन्म के बीच अंतर मां और बच्चों को रखता है स्वस्थ- एसीएमओ
DIWAKAR TIWARY.
परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों पर बल देने के लिए उन्मुखीकरण कार्यशाला का हुआ आयोजन
रोहतास। मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के साथ परिवार नियोजन के संसाधनों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने और दो बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने को लेकर शुक्रवार को सदर अस्पताल स्थित ओपीडी के सभा कक्ष में पीएसआई इंडिया के द्वारा एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सासाराम प्रखंड की एएनएम, परिवार नियोजन सलाहकार एवं ममता को उन्मुखीकरण किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बहुत सारी ऐसी महिलाएं हैं जो जल्दी परिवार नियोजन के स्थाई संसाधनों को नहीं अपनाना चाहती। ऐसे में उन महिलाओं को अस्थाई संसाधनों के तरफ ले जाने की अहम भूमिका परिवार नियोजन सलाहकार एवं ममता का होता है। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी है कि पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के जन्म के बीच अंतर रखना। यदि दो बच्चों के जन्म के बीच में 3 साल का अंतर होता है तो उस दौरान मां भी स्वस्थ रहती है और पहले बच्चे की देखभाल भी बेहतर तरीके से होती है। साथ ही दूसरा बच्चा भी स्वस्थ जन्म लेता है, क्योंकि इन दो से तीन सालों के बीच मां खुद के साथ-साथ नवजात शिशु को भी देखभाल कर सके और दूसरे बच्चे के लिए तैयार हो सके।
उन्मुखीकरण कार्यशाला में पीएसआई इंडिया के सीनियर मैनेजर प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन विवेक मालवीय ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए दो बच्चों के जन्म के बीच 2 से 3 साल का अंतर होना काफी जरूरी है, क्योंकि पहले बच्चे के जन्म के बाद धात्री महिला काफी कमजोर हो जाती है और दूसरे बच्चे को जन्म देने के लिए 2 से 3 साल का समय जरूरी होता है। ऐसे में अस्थाई परिवार नियोजन के संसाधनों को इस्तेमाल करके इस अंतर को बरकरार रखा जा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि पहले प्रसव के बाद या अबॉर्शन करवाने आई महिलाओं को अस्थाई परिवार नियोजन के साधनों के बारे में जानकारी देते हुए इसका इस्तेमाल करवाने पर बल दिया जाए।
वहीं पीएसआई इंडिया के मैनेजर प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन शैलेश कुमार तिवारी ने कहा कि अस्थाई परिवार नियोजन के लिए कई साधन उपलब्ध है। आप सभी का दायित्व बनता है कि आप उस महिला को किसी एक साधन को अपनाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसी भी महिला पर जबरदस्ती अपने अनुसार संसाधन इस्तेमाल करने की सलाह न दें, बल्कि महिला को सभी साधनों के बारे में जानकारी दें और उन्हें बताएं। इसके अलावा उस साधन के प्रति महिला में कोई नकारात्मक विचार ना आए इसके लिए साधन का इस्तेमाल करने के बाद होने वाली सामान्य समस्याओं को भी उसको अवगत कराएं ताकि वह पहले से ही इसके लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि जब कोई महिला अबॉर्शन के लिए आती है तो उन्हे पीपीएफपी (पोस्ट पार्टेम फैमिली प्लानिंग एवं पीएएफपी (पोस्ट अबॉर्शन फैमिली प्लानिंग) की जानकारी अवश्य दें। उन्होंने बताया कि बार-बार एबॉर्शन करवाना स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। मौके पर पीसीआई के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर प्रियेश कुमार तिवारी भी मौजूद रहें।