एमडीएम प्रभारी की मनमानी से त्रस्त हैं शिक्षक,बगैर नजराना लिए नहीं करते हैं राशि आवंटित
संतोष कुमार .
प्रखंड में शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार एवं मध्याह्न भोजन योजना में लूट-खसोट की कई शिकायत है।कई स्कूलों में बच्चों का भोजन सिर्फ कागज पर ही बनता है।स्कूल में छात्र-छात्राओं की वास्तविक उपस्थिति कुछ एवं एमडीएम पंजी पर उपस्थिति कुछ और दर्ज की जाती है।यहां तक कि स्कूल के किसी बात की जानकारी स्कूल शिक्षा समिति के सदस्य एवं पदाधिकारियों को भी पता नहीं चलती है एवं पंजी पर उनका हस्ताक्षर बना दिया जाता है।एमडीएम राशि का गबन एवं चावल के संवेदक एवं एमडीएम प्रभारी की मिलीभगत से चावल एफसीआइ गोदाम से लेकर स्कूल तक पहुंचने से पहले रास्ते में ही चावल की कालाबाजारी कर दी जाती है।ऐसी अनियमितताओं को लेकर विभाग से इसकी शिकायत भी की जाती रही है। लेकिन विभाग इसको अनदेखी करती रही है।कई बार इस मामले को लेकर विद्यालय पर छात्र-छात्राओं के परिजनों द्वारा हंगामा भी किया जाता है।इसके बाद विभाग द्वारा निरीक्षण के नाम पर लीपापोती कर दी जाती है।जबकि शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के के पाठक ने एमडीएम व बच्चों की 75 प्रतिशत उपस्थिति के लिए लगातार जांच टीम को निर्देशित किया गया है। बाबजूद पठन-पाठन कार्य मे सुधार के बजाए स्थितियां और भयावह होती जा रही।क्योंकि जांच टीम जिस स्कूल में पहुंचने वाली होती है।इसकी सूचना पहले ही स्कूल में पहूंच जाती है।क्योंकि इसके बदले उन्हें उपरी राशि मिलती है।प्रखंड एमडीएम प्रभारी शंकर कुमार आवंटन राशि आने के बाद मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से 1000 रुपये एवं प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से 500 रूपयों की वसूली करने के बाद हीं आवंटन चढ़ाते हैं।अन्यथा उनके द्वारा पैसा नहीं आने की बात कहकर टहलाया जाता है।इधर शिक्षक दबी जुबान से कहते हैं कि एमडीएम प्रभारी को अगर पैसा नहीं देंगे तो वे हमलोगों के आवंटन में कटौती करने के साथ-साथ राशि पर पाबंदी लगा देते हैं।एमडीएम प्रभारी द्वारा प्रत्येक महीनों में स्कूलों से लगभग लाखों रुपये की उगाही की जाती है।इस पर एमडीएम प्रभारी से उनका पक्ष की जानकारी लेनी चाही तो वे किसी कारण वश फोन नहीं उठा सके।इस संबंध में प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कुमुद नारायण कहते हैं जानकारी मिली है।लेकिन कोई लिखित शिकायत करते हैं तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।