सर्पदंश से खटिया पर सोये सात वर्षीय बच्चे की मौत
संतोष कुमार .
प्रखण्ड क्षेत्र के चितरकोली गांव में गुरुवार की देर रात्रि लगभग 3 बजे खटिया पर सोये सात वर्षीय एक बच्चे को जहरीले सांप ने काट लिया।परिजनों द्वारा आनन-फानन में सर्पदंश से घायल युवक को अनुमंडलीय अस्पताल रजौली लाया गया।अनुमंडलीय अस्पताल में ड्यूटी पर रहे चिकित्सक डॉ नीरज कुमार ने बताया कि सर्पदंश से पीड़ित सात वर्षीय बच्चे की पहचान चितरकोली गांव निवासी राजेश चौहान के पुत्र सत्यम कुमार के रूप में हुई है।अस्पताल में आये सर्पदंश से घायल बच्चे की स्थिति चिंताजनक थी।घायल बच्चे को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सांप ने अपना पूरा जहर सर्पदंश के दौरान बच्चे के शरीर में ही उगल दिया है।उन्होंने बताया कि बच्चे का प्राथमिक इलाज के दौरान एंटीवेनम एवं महत्वपूर्ण दवाइयां दी गई।किन्तु बच्चे को नहीं बचा पाया।बच्चे की मौत को जानकारी परिजनों को मिलते ही चीख-पुकार मच गई।वहीं स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा काफी समझाने के बाद मृत बच्चे को लेकर वे वापस घर ले गए।वहीं मृतक बच्चे के पिता ने बताया कि रात्रि को खटिया पर सोया हुआ था।खटिया पर सांप चढ़कर सोए बेटे को काट लिया।जिसके बाद पड़ोसी सिंटू कुमार की मदद से अस्पताल ले जाया गया।जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
सर्पदंश पर झाड़-फूंक को छोड़ आधुनिक चिकित्सा पद्धति अपनाएं-
अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि बारिश के मौसम में सांप-बिच्छू का खतरा बना रहता है।साथ ही कहा कि सांपों में कोबरा,अहिराज,नाग एवं घोड़ा करैत को छोड़कर सभी सर्प बिना जहर के होते हैं।किसी को सांप डस ले तो उस स्थान से आगे के हिस्से में कपड़े या रस्सी से बांध दे ताकि जहर का फैलाव शरीर के अन्य हिस्सों में न हो।साथ ही सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को पानी नहीं पिलाएं एवं सोने नहीं दें।इसके अलावे सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को नजदीक के अस्पताल में ले जाकर एंटी स्नेक वेनम लगवाएं।झाड़-फूंक के चक्कर मे कतई न पड़ें।साथ ही लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि सांप के जहर से उत्तक नष्ट हो जाते हैं,नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है,ब्लड प्रेशर एवं हृदय पर असर अथवा क्लॉटिंग व रक्तस्राव होता है।जहरीले सांप के काटने पर यदि जहर उगल दिया गया है तब काटने के स्थान पर तेज दर्द,छाला पड़ना,सूजन,नीलापन,रक्तस्राव, काला पड़ना या सुन्न होना हो सकता है।उन्होंने बताया कि सर्पदंश से घायल युवकों के घाव के साथ छेड़छाड़ न करने की सलाह दी।साथ ही बताया कि पीड़ित व्यक्ति के दौड़ने व भागने से सांप का जहर तेजी से शरीर में फैलता है।वहीं बताते चलें कि ग्रामीणों में अब भी झाड़ फूंक की पुरानी अवधारणाएं बनी हुई है।आये दिन सर्पदंश से घायल लोगों को अस्पताल में इलाज हेतु तो लाया जाता है।किन्तु स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा इलाज करने के दौरान ही परिजनों द्वारा झाड़-फूंक वाले ओझा के घर लेकर जाया जाता है।इस तरह झाड़-फूंक के कारण अनेकों ने अपनी जान गवाई है।लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।