स्तनपान न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि माताओं के लिए भी होता है फायदेमंद,पीएचसी प्रभारी

संतोष कुमार ।

मुख्यालय स्थित अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में परिवार कल्याण परामर्शी राकेश सिंह के नेतृत्व में स्तनपान सप्ताह को लेकर ममता के साथ बैठक की गई।उन्होंने बताया कि बैठक में ममता कार्यकर्ता घर-घर जाकर माताओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करने को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए।साथ ही कहा कि आशा और ममता कार्यकर्ता अस्पतालों से लेकर घर-घर जाकर माताओं को स्तनपान के प्रति जागरूक कर रही हैं।ऐसे में ये जान लेना जरूरी हो जाता है कि स्तनपान न सिर्फ बच्चे के लिए,बल्कि माताओं के लिए भी फायदेमंद होता है।बच्चों को तो यह कई तरह की बीमारियों से बचाता है ही।साथ में माताओं को भी कई तरह की बीमारियों से बचाकर रखता है।

क्या कहते हैं पीएचसी प्रभारी-

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ सौरभ कुमार निराला कहते हैं कि स्तनपान के प्रति हर माता को जागरूक रहना चाहिए।इसके तमाम फायदे हैं।नियमित तौर पर स्तनपान कराने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है,जिससे उसका कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।साथ ही माताओं को भी इससे कई फायदे होते हैं।स्तनपान कराने से माताओं में भी स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। साथ में मोटापा टाइप-2 मधुमेह का भी खतरा कम हो जाता है। स्तनपान कराने से पांच वर्ष तक की उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आती है।साथ ही बच्चों को दस्त,निमोनिया समेत कई बीमारियों से बचाता है।इसके अलावा बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी मजबूत होती है।

मां का गाढ़ा पीला दूध बच्चों के लिए अमृत के समान

डॉ सौरभ कुमार निराला कहते हैं कि अभी स्तनपान सप्ताह चल रहा है।इस दौरान लोगों को स्तनपान के महत्व के बारे में बताया जा रहा है।अभी जो जानकारी दी जा रही है,उसे लोगों को ध्यान में रखना चाहिए।जन्म के एक घंटे के अंदर ही बच्चे को मां का दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए।मां का यह गाढ़ा पीला दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है।बच्चे के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए।इससे बच्चा न सिर्फ शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होता,बल्कि उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है,जो कि उसका बीमारियों से बचाव करता है।रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर अगर बच्चा बीमार भी पड़ जाता तो वह उससे आसानी से उबर जाता है।इसलिए बच्चे के जन्म के बाद छह माह तक माताओं को स्तनपान कराने पर जोर देना चाहिए।

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