मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत किसानों को सिंचाई हेतु 80% राशि मिलेगा अनुदान।
धीरज गुप्ता,
गया। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसकी अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है तथा कृषि के लिए सिंचाई एक मुख्य कारक है। इस संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा असिंचित क्षेत्रों के लिए कृषकों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सात निश्चय-2 अन्तर्गत “हर खेत तक सिंचाई का पानी ” योजना क्रियान्वित करायी जा रही है। “हर खेत तक सिंचाई का पानी” योजना के तहत पांच विभागों द्वारा संयुक्त रूप से सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें असिंचित क्षेत्रों में 21274 स्थलों का चयन किया गया है। इस सर्वेक्षण के उपरांत निजी नलकूप हेतु 18747, सामुदायिक नलकूपों की मरम्मति हेतु 1646 एवं डगवेल हेतु 881 स्थल चिन्हित किये गये हैं। यह योजना केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा चिन्हित अतिदोहित एवं संकटपूर्ण प्रखंड,पंचायत को छोड़कर असिंचित क्षेत्रों में उस भूमि पर लागू होगी जो भूमि निजी नलकूप अधिष्ठापन के लिए सात निश्चय-2 “हर खेत तक सिंचाई का पानी अन्तर्गत तकनीकी सर्वेक्षण में चिन्हित हो अथवा अनुदेश के अनुरूप उपयुक्त हो।निजी नलकूप योजना की मुख्य विशेषतायें यह है कि
प्रस्तावित योजना के अन्तर्गत कम (शैलो) एवं मध्यम गहराई के 70 मी0 तक के निजी नलकूपों एवं मोटर पम्प के लिए अनुदान का प्रावधान है।योजना के मुख्य अवयव हैं कि :-4-6 इंच व्यास का कम (शैली) एवं मध्यम गहराई का नलकूप होगा।5 अश्वशक्ति का सबमर्सिबल मोटर पम्प सेन्ट्रीफ्यूगल मोटर पम्प होगा।
अनुदान हेतु पात्रता- सात निश्चय -2 “हर खेत तक सिंचाई का पानी अन्तर्गत संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण के उपरांत चिन्हित स्थलों के एवं अन्य असिंचित क्षेत्रों के कृषक इसके पात्र होंगे। केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा चिन्हित अतिदोहित एवं संकटपूर्ण Over Exploited and Criticalyप्रखंड / पंचायतों से प्राप्त आवेदनों को या इनमें चिन्हित स्थलों को नलकूप अधिष्ठापन हेतु विचार नहीं किया जायेगा।
वैसे प्रगतिशील एवं इच्छुक कृषक जिनके पास कम से कम 0.40 एकड़ 40 डिसमिल का भू-खण्ड हो इसके पात्र होंगे, जिसमें लघु व सीमांत कृषकों को प्रथमिकता दी जायेगी।
उस स्थल पर पूर्व से वारिंग न हो तथा उक्त स्थल पर बोरिंग हेतु पूर्व में कृषि विभाग से अनुदान या अन्य संस्था, विभाग से वित्तीय सहायता न ली हो, इस संदर्भ में आवश्यक घोषणा पत्र कृपक से लिया जायेगा। एक कृषक को एक ही बोरिंग एवं मोटर पम्प सेट के लिये अनुदान मान्य होगा। न्यूनतम 15 मीटर गहराई तक बोरिंग करने पर ही अनुदान दिया जाएगा।
इस योजना के तहत सामान्य वर्ग के किसानों को 50% अनुदान, पिछड़ा,अति पिछड़ा वर्ग के किसानों को 70% अनुदान एवं अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 80% अनुदान का लाभ मिलेगा*
आवेदन की प्राप्ति व जांच
विभागीय मोबाईल एप व वेब पोर्टल पर सात निश्चय – 2 “हर खेत तक सिंचाई का पानी अन्तर्गत तकनीकी दल द्वारा सर्वेक्षित स्थल हेतु आवेदन लघु जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता,सहायक अभियंता द्वारा चिन्हित स्थल पर प्राप्त किया जायेगा, जिसमें विहित प्रपत्र में कृषक के निजी विवरण के साथ फोटो एवं वांछित अभिलेख पोर्टल पर अपलोड करने हेतु लिये जायेंगे। अन्य असिंचित क्षेत्र हेतु कृषक विभागीय पोर्टल पर आवेदन स्वीकृति हेतु स्वयं अपलोड करेंगे। उन्हें भी वांछित विवरण की प्रविष्टि करनी होगी एवं वांछित अभिलेख पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। आवेदन के साथ संलग्न करने वाले अभिलेख -उस स्थल पर पूर्व से बोरिंग न हो तथा उस स्थल पर बोरिंग हेतु पूर्व में कृषि विभाग से अनुदान या अन्य संस्था, विभाग से वित्तीय सहायता न ली हो। इस संदर्भ में आवश्यक घोषणा पत्र कृषक को देना होगा। आधार भुगतान आधार आधारित होगा।भू-धारकता प्रमाण पत्र।सक्षम प्राधिकार से निर्गत जाति प्रमाण पत्र।फोटोग्राफ सर्वेक्षित स्थल पर अक्षांश एवं देशांतर के साथ जिसमें कनीय अभियंता , सहायक अभियंता कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक , संबंधित लाभुक कृषक एवं उपस्थित ग्रामीण को सम्मिलित किया जाय।आवेदन स्वीकृति के क्रम में पूर्व से सर्वेक्षित स्थलों पर आवेदन लेने के लिए जाने वाले कनीय अभियंता , सहायक अभियंता स्थल निरीक्षण एवं आवेदन की जांच की प्रक्रिया करेंगे अन्य प्राप्त आवेदनों पर कार्यपालक अभियंता अपने कनीय अभियंता , सहायक अभियंता से प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण एवं आवेदन की जांच करायेंगे। कनीय अभियंता, सहायक अभियंता जो निरीक्षण व जांच करेंगे उसमें पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जायेगी तथा प्रतिवेदन विहित प्रपत्र में पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा।
निरीक्षण एवं जांच के बिन्दू-उक्त स्थल पर कोई अन्य सिंचाई के साधन का विकल्प तो नहीं है।उक्त स्थल पर या सटे हुए भाग में पूर्व से कोई बोरिंग तो नहीं किया हुआ है। कृषक द्वारा पूर्व में अनुदान , वित्तीय सहायता न लेने संबंधी घोषणा पत्र की वास्तविकता की जांच ।आधार का ऑनलाईन सत्यापन। भू-धारकता प्रमाण पत्र में इस अनुदेश के अनुरूप उपलब्ध ,उपयुक्त भूमि । जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन। पूर्व से सर्वेक्षित स्थलों के लिए अक्षाश एवं देशातर से संबंधित मिलान ।
आवेदन स्वीकृति की प्रक्रिया कार्यपालक अभियंता अपने कनीय अभियंता ,सहायक अभियंता से प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण व आवेदन की जाँच करायेंगे। सहायक अभियंता किसान के आवेदन पत्र को कनीय अभियंता की अनुशंसा के आलोक में पोर्टल पर अग्रसारित या अस्वीकृत करेंगे। पूर्व से चिन्हित, सर्वेक्षित क्षेत्रों में अस्वीकृति की स्थिति में सहायक अभियंता स्थल का अवश्य निरीक्षण करेंगे।कार्यपालक अभियंता द्वारा कनीय अभियंता एवं सहायक अभियंता की अनुशंसा के आलोक में आवेदन की स्वीकृति के उपरांत किसान को कार्यालय के द्वारा दूरभाष के माध्यम से सूचना दी जायगी। स्वीकृति पत्र विहित प्रपत्र में कम्प्यूटर द्वारा स्व-जनित होगा। अस्वीकृति की स्थिति में कार्यपालक अभियंता पूर्णत संतुष्ट हो लेंगे तथा पूर्व से विहित सर्वेक्षित क्षेत्रों में अस्वीकृति की स्थिति में सहायक अभियंता द्वारा स्थल का निरीक्षण अनिवार्य होगा। योजना का कार्यान्वयन :विभाग द्वारा चिन्हित स्थल पर ही बोरिंग किया जायेगा। स्वीकृति के पश्चात् 60 दिवस के अंदर कृषक को बोरिंग गाड़ कर अनुदान का दावा पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। निर्धारित अवधि के अंदर नलकूप नहीं गाड़ने पर आवेदक को पोर्टल पर स्पष्ट कारण अंकित करते हुए इसकी सूचना देनी होगी। अन्यथा आवेदन ,दावा स्वतः रद्द माना जायेगा। यदि आवेदक द्वारा दिये गये कारण पर कार्यपालक अभियंता सहमत होते हैं तो उन्हें कार्य पूर्ण करने हेतु अधिकतम एक माह का अवधि विस्तार दिया जा सकेगा। निर्माण सामग्रियों का क्रय कृषक स्वयं अपनी स्वेच्छा से करेंगे परन्तु सामग्रियों की विशिष्टि भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुरूप एवं सामग्रियों का देश में निर्मित होना आवश्यक होगा।अनुदान हेतु दावा की प्रक्रिया निर्धारित अवधि में नलकूप गाड़ने के उपरांत लाभुक किसान पाईप एवं मोटर पम्प का प्रमाणक जिसमें जी०एस०टी० संख्या एवं आई०एस०आई०, आई०एस० ओ० मार्का का उल्लेख हो उसके साथ अनुदान का दावा विहित प्रपत्र में पोर्टल पर अपलोड करेंगे। लाभूक कृषक बोरिंग एवं मोटर पम्प का दावा अपनी सुविधानुसार निर्धारित अवधि में अलग-अलग तिथि का या एक ही तिथि को कर सकेंगे। बोरिंग गाडने के पूर्व गाडने के दौरान एवं गाड़ने के बाद जलस्राव होते हुए कृषक स्थल का फोटोग्राफ लेंगे, जिसे दावा समर्पण के समय वेब पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।इसी प्रकार मोटर पम्प अधिष्ठापन करते हुए एवं पम्प अधिष्ठापन के उपरांत जलस्राव होते हुए का फोटो भी अपलोड करना आवश्यक होगा। विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भौतिक सत्यापन व गहराई मापने के पश्चात् ही कृषक द्वारा मोटर अधिष्ठापन का कार्य कराया जायेगा व फोटो पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा।
अभियंता द्वारा भौतिक सत्यापन व निरीक्षण -कनीय अभियंता कार्य स्थल पर बारिंग एवं मोटर पम्प का भौतिक सत्यापन कर वांछित प्रपत्र भरकर अनुदान हेतु अनुशंसा सहायक अभियंता का पोर्टल पर अग्रसारित करेंगे। भौतिक सत्यापन दो चरणों में करना अनिवार्य होगा, बोरिंग के पश्चात गहराई मापने एवं जलस्राव देखने हेतु एवं मोटर का अधिष्ठापन करते हुए अश्वशक्ति जानने हेतु एवं उसके उपरांत जलस्राव देखने के लिए। प्रत्येक चरण के भौतिक सत्यापन के उपरांत स्थल का फोटो अक्षांश एवं देशांतर सहित कृषक व अन्य संबंधितो के साथ अवश्य ही अपलोड करेंगे।संबंधित कार्य के भौतिक सत्यापन प्रतिवेदन पर कृषक एवं सत्यापन करने वाले अभियंता द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किया जायेगा तथा इस प्रतिवेदन का भी पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा। स्थापित कुल नलकूपों के 10 प्रतिशत का निरीक्षण, सत्यापन लघु जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता 50 प्रतिशत सहायक अभियंता एवं शत्-प्रतिशत कनीय अभियंता के द्वारा किया जायेगा। संबंधित कार्यपालक अभियंता व सहायक अभियंता को निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप भौतिक सत्यापन हेतु स्थलों की सूची पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध करायी जायेगी।
अनुदान की स्वीकृति-कार्यपालक अभियंता द्वारा अनुदान भुगतान हेतु सभी अभिलेखों की यथोचित जांच कर सही पाय जाने पर अनुदान हेतु अनुमोदित कर संबंधित अधीक्षण अभियंता को पोर्टल के माध्यम से अग्रसारित किया जायेगा। अधीक्षण अभियंता पोर्टल के माध्यम से ही मुख्य अभियंता को अग्रसारित करेंगे। मुख्य अभियंता, विभागीय नोडल पदाधिकारी को भुगतान हेतु पोर्टल के माध्यम से अनुशंसा करेंगे। उसके बाद भुगतान की कार्रवाई विभाग द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सीधे लाभुक के आधार युक्त खाते में की जायेगी।अतः भुगतान आधार आधारित होगा। अनुदान की स्वीकृति के उपरांत संबंधित कृषक को शिष्टम जेनरेटेड एस एम एस, दूरभाष के माध्यम से सूचना दी जायेगी। अनुदान अस्वीकृत होने की परिस्थिति में कृषक एक पक्ष के भीतर अस्वीकृति का कारण सुधारते हुए पुन एक बार अपना दावा अपलोड कर सकेंगे। वरीय पदाधिकारी को कनीय पदाधिकारी के निर्णय की समीक्षा करने का अधिकार होगा।हर खेत तक सिचाई का पानी कार्यक्रम के अंतर्गत गया जिले में जिला स्तरीय पदाधिकारी द्वारा टीम गठित कर सभी पंचायतो में सर्वे करवाया गया जिसमें अतरी में 9 नलकूप, बाकेबजार में 81, बेला में 1, बोधगया में 4, डोभी में 121, फतेहपुर में 50, गया सदर मे 4, गुरुआ में 84, खिजर सराय में 1, कोच में 63, मोहरा में 45, नीमचक बथानी में 28, परैया में 14, शेरघाटी में 1, टनकुप्पा में 1, टेकारी में 1 एवं वजीरगंज में 6 नलकूप लगाने हेतु सर्वे किया गया है।