नल जल योजना में भष्टाचार !आम लोग पानी के लिए परेशान
गजेंद्र कुमार सिंह ।
बिहार सरकार के सात निश्चय योजना में शुद्ध पेयजल जिले में फेल?
शिवहर ——जिले में बिहार सरकार के सात निश्चय योजना में नल-जल योजना फेल हो गया है की अजब गजब कहानी है। ग्रामीण क्षेत्र के साथ ही साथ शहरी क्षेत्र में भी नल-जल योजना के अजूबे नमूने दिखने को मिल रहे हैं। कहीं नल में जल नहीं है तो कहीं जल की बर्बादी हो रही है । कहीं नलके की टोटी को मिट्टी में दबा कर छोड़ दिया है। तो कहीं जब नल ही घर में नहीं लगाया गया तो भला पानी की आपूर्ति कैसे घरों में होगी। कहीं नलके से पानी नहीं निकलने के कारण लकड़ी की टहनी को अंदर डाल दिया गया है। जिले में नल-जल योजना के जिस संवेदक को जहां मौका मिला वही लाखों-की लूट कर ली, लोहे की कुछ पाइप को मिट्टी के नीचे दबाया। फिर विभाग से अपना भुगतान पाया और चलते बने। वहीं कई जगह लोग शुद्ध पानी की आस में नलके की टोटी और पाइप को ही सालों से निहारते रह गए। सरकार की महत्वकांक्षी योजना सात निश्चय के तहत जिले में लोगों को शुद्ध पानी पिलाने के लिए नल जल योजना चलाई गई। जिसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के भी विभिन्न इलाकों में नल जल योजना के पाइप को बिछाने की प्रक्रिया हुई लेकिन गहन छानबीन करने पर इस योजना के तहत बिछाई जाने वाले पाइपलाइन की गहराई भी मानक के अनुसार कहीं नहीं मिली । अधिकांश जगह योजना में लीपापोती की गई । पीतल के जगह पर प्लास्टिक या लोहा का का नल उपयोग में लाया गया है । समस्याएं कई है समाधान कुछ भी नहीं दिखता पानी की आपूर्ति लगातार नहीं होना एक समस्या है ।
कुछ वर्ष पूर्व जब सड़क किनारे गड्ढा खोद रहे लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि नल जल योजना में सभी घरों तक शुद्ध पानी को पहुंचाना है।
जिसको लेकर पाइप बिछाई जा रही है। उनकी बात सुन गांव और शहर दोनों जगह खुशी की लहर दौड़ गई। सभी मिलजुलकर संवेदक को मदद देने लगे। कई महीने तक संवेदक के आदमी सड़क के किनारों को खोदकर पाइप बिछाते रहे। फिर पाइप से गांव के हर घर और चौक-चौराहे के आस-पास नलके की टोटी निकालने की प्रक्रिया भी हुई। लेकिन अब संवेदक अपने रंग में आ चुके थे। वे सड़क किनारे कहीं मिट्टी के नीचे नल की टोटी लगाकर मिट्टी के नीचे दबा दिया। तो कहीं नल में टोटी के बदले लकड़ी की टहनी ठूंस दिया। वही उनके द्वारा वाटर स्टैंड बनाने की जो प्रक्रिया की गई। वह भी लीपापोती ही निकली। वाटर स्टैंड का बेस ही कमजोर छोड़ दिया। जिससे स्टैंड हिलने लगी।
वर्तमान स्थिति यह है कि अधिकांश जलमीनार में भूमिगत जल को शुद्ध और संक्रमणमुक्त करने के लिए क्लोरीनेटर ठीक तरीके से कार्य नहीं कर रहा है। ग्रामीणों को अशुद्ध पानी मिल रहा है। अधिकांश जलमीनार के अंदर वोल्टेज को नियंत्रित करने वाले स्टैबलाइजर भी किसी संयंत्र में नहीं पाए गए जबकि संवेदक द्वारा इसे लगाया जाना था
नल जल योजना का आलम यह है की योजना में व्याप्त अनियमितता नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए सिरदर्द बन गई है।
बिहार सरकार ने शहर से लेकर गांव के घरों तक पानी पहुंचाने के लिए नल जल योजना की शुरुआत की. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की टंकियां बनवाई गई,ताकि लोगों को साफ पानी मिल सके. लेकिन इस योजना का हाल क्या है और यह योजना लोगों के लिए कितनी सार्थक साबित हो रही है,यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है । इस योजना की सच्चाई यह है कि इससे आम लोगों को लाभ कब जबकि भूमिगत जल का दोहन अधिक हो रहा है यही कारण है कि वाटर लेवल काफी नीचे जाने से चापाकल भी सूख रहें हैं ।
इतना ही नहीं जनप्रतिनिधियों,अधिकारियों और ठेकेदार की सांठगांठ के चलते पूरी योजना का बंटाधार हो गया है ! जिसकी वजह से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है । आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार नल जल योजना हेतु नगर पंचायत में लगभग 8 करोड़ तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अरबों रूपया खर्च किया गया है । पर आम जनता को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा इसका शिकायत कहां करें जनता किसके पास जाए।