जिला पदाधिकारी गया ने किया तिल की खेती का निरीक्षण

धीरज ।
गया जिले की मिट्टी एवं जलवायु तिल की खेती के लिये बहुत ही उपयुक्त।
1. तिल की खेती ने किसानों को दिखायी एक अच्छी आय की राह।
2. तिलकूट व्यवसायियों को गया जिले में ही मिलेगा उच्च गुणवत्ता का तिल।

गया। जिला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम, जिला कृषि पदाधिकारी गया, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी टिकारी गया, प्रखंड विकास पदाधिकारी गुरारू, तिल वैज्ञानिक सुदामा सिंह, जिला परामर्शी, प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी गुरारू के द्वारा गुरारू प्रखंड के देवकली, पहरा बाली ग्राम के प्रगतिशील किसानों द्वारा किए गए गरमा तिल के खेती का निरीक्षण एवं किसान उपेंद्र कुमार के खेत में क्रॉप कटिंग किया गया है।जिला पदाधिकारी महोदय किसानो के द्वारा गरमा तिल के खेती में किए गए सराहनीय प्रयास को लेकर काफी सराहना किए और कहा कि कृषि विभाग का कार्य काफी सराहनीय है तथा जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिए की तिल के उत्पादन प्रोसेसिंग मार्केटिंग इत्यादि से संबंधित सभी विषय किसानो को तकनीकी मदद करने का प्लान तैयार किया जाय।गया जिले का तिलकूट पूरे भारतवर्ष में मषहूर है। पर विडम्बना है कि तिलकूट निर्माण हेतु तिल बाहर के राज्यों से क्रय करना पड़ता है। कृषि विभाग एवं जिला प्रशासन की पहल पर इस वर्ष गरमा मौसम में गया जिले के प्रत्येक प्रखंड में तिल की खेती प्रारम्भ की गयी। चयनित किसानों को उच्च गुणवत्ता के तिल बीज का प्रभेद GJT-5 उपलब्ध कराया गया। आत्मा, गया से प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिले में 600 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में तिल की बुआई की गयी। फसल काफी अच्छी है। अच्छी मात्रा में तिल उत्पादन की उम्मीद है। व्यापारी भी तिल की खरीददारी के लिये पहूँच रहे है। किसान भी काफी उत्साहित है। गाँव के अन्य किसान भी अगले गरमा मौसम से तिल की खेती का मन बना चुके है। किसानों को तिल फसल के रुप में एक अच्छा विकल्प मिला है। आनेवाले दिनों में गया जिले में तिल क्रांति आयेगी।इससे किसानों के आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और रोजगार के लिए बाहर जाने पर भी रोक लगेगी इसकी खेती बंजर भूमि से लेकर सभी प्रकार के भूमि में की जा सकती है, नीलगाय जानवर से फसल का देखभाल करना जरूरी है।
जिला पदाधिकारी में जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि तिल की खेती कर रहे किसानों को पूरी तरह से कृषि विभाग की सभी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराएं। हॉर्टिकल्चर एवं ड्रिप इरिगेशन के योजनाओं से लाभान्वित करते हुए हर संभव सहयोग करें। ऐसे किसानों को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करें ताकि इन्हें देखकर और भी किसान तिल की खेती कर सके।किसानों ने जिला पदाधिकारी से अनुरोध किया कि देवकली से दमगढ़वा जाने वाली सड़क जो जर्जर है उसे मरम्मत करवाया जाय।
जिला पदाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि तिल के बिक्री हेतु लोकल स्तर पर गया जिले में ही मार्केटिंग पर विस्तार से प्लान करें। बड़े-बड़े दुकानदारों जो तिलकुट बनाने का कार्य करते हैं उनसे समन्वय कर तिल लोकल किसानों से ही क्रय करने पर विचार कराएं। बताया गया कि 1 एकड़ तिल की खेती में लगभग 5 क्विंटल तिल का उपज होता है। प्रति किलोग्राम लगभग 150 रुपये के हिसाब से तिल मार्केट में बिकता है।इस मौके पर देवकली पंचायत के मुखिया, प्रखंड के कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार तथा अन्य सैंकड़ो कृषक उपस्थित थे।

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