अनुसूचित जाति,जनजाति से आने वाले राष्ट्रपति को नीचा दिखाना प्रधानमंत्री के अहंकार तथा तानाशाही की प्रकाष्ठा _ कांग्रेस
मनोज कुमार ।
नवनिर्मित संसद भवन के शिलान्यास से लेकर अब 28 मई को होने वाले उद्घाटन भारत के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपति मुर्मू के करकमलों द्वारा नही करा कर प्रधानमंत्री को स्वयं अपने द्वारा करने पर कांग्रेस पार्टी के नेता कार्यकर्ता ने घोर आपत्ति जताई है।
आपत्ति जताने वाले बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह क्षेत्रीय प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिठू, पूर्व विधायक मो खान अली, जिला उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, प्रद्युमन दुबे, बलिराम शर्मा, चंद्रभूषण मिश्रा, शिव कुमार चौरसिया, उदय शंकर पालित, दामोदर गोस्वामी, रूपेश चौधरी, अशोक राम, मो समद, असरफ इमाम आदि ने कहा कि ऐसा लगता है की मोदी सरकार ने दलित और आदिवासी समुदायों से भारत के राष्ट्रपति का चुनाव केवल चुनावी कारणों से सुनिश्चित किया है।
नेताओ ने कहा की नए संसद भवन के शिलान्यास के समय भी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जो अनुसूचित जाति से आते है उन्हे भी आमंत्रित नहीं किया गया था, अब नए संसद भवन के उद्घाटन में भी राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू जो अनुसूचित जनजाति से आती है उन्हे भी नही नहीं बुलाया जा रहा है, जो प्रधानमंत्री जी के अहंकार एवम् तानाशाही का प्रकाष्ठा है।
नेताओ ने कहा की भारत की संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च विधाई संस्था है और भारत का राष्ट्रपति को इसका सर्वोच्च संवैधानिक अधिकार है, वह अकेले ही सरकार , विपक्ष और हर नागरिक का समान रूप से प्रतिनिधित्व करती है।
नेताओ ने कहा की राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतंत्रतिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार के प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा । मोदी सरकार ने बार, बार मर्यादा का अपमान किया है, भारत के राष्ट्रपति का कार्यालय भाजपा, आर एस एस सरकार के तहत प्रतीकवाद तक सिमट गया है।
नेताओ ने कहा की देश के सजग साहसी संघर्षशील जनप्रिय ईमानदार लोकप्रिय विपक्ष की आवाज , कांग्रेस पार्टी के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे, सहित सम्पूर्ण देश के कांग्रेस पार्टी के नेता कार्यकर्ता नए संसद भवन का उद्घाटन महामहिम राष्ट्रपति को करना चाहिए, प्रधानमंत्री जी को नहीं ।