हर्षोल्लास के साथ अनुमंडल क्षेत्र में मनाया गया ईद का त्योहार

चंद्रमोहन चौधरी।

बिक्रमगंज अनुमंडल क्षेत्र के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में ईद उल फितर का त्योहार शनिवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने नमाज अदा की व अमन चैन की दुआएं मांगी। ईद की नमाज को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा गया। शुक्रवार की शाम चांद दिखाई देने के साथ ही लोगों ने एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू कर दिया। बिक्रमगंज में सुबह 7:15 से 8:00 बजे तक विभिन्न ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज अदा की गई। लोगों ने नमाज अदा कर दुनिया में अमन चैन की दुआएं मांगी। मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित प्रताप सिंह, थानाध्यक्ष मनोज कुमार और मजिस्ट्रेट की तैनाती रही।
अनुमंडल क्षेत्र में इस बार भीषण गर्मी से हलक सुखाने वाले तेज पछुआ हवाओं और बिजली कटौती के बीच पूर्वी हवा के उमस भरे दिन के बावजूद इस पवित्र रमजान माह में रोजा रखने वालों की कोई कमी नहीं रही। काफी शिद्दत के साथ बच्चों सहित वृद्ध लोगों ने रोजा रखा और नमाज अदा की है। कई बार धैर्य की अग्नि परीक्षा देते हुए लोगों ने शुक्रवार की संध्या ईद का दीदार करने के उपरांत शनिवार को ईद मुबारक मनाया। देर शाम तक लोगों के गले मिलने का और एक दूसरे को दुआ देने का दौर चलता रहा। मिल बांट कर खुशियों को सेलिब्रेट किया। हिंदू मुस्लिम का विभेद मिटाते हुए मुबारकबाद दी गई। सामाजिक कार्यकर्ता आदील खान ने बताया कि दुनिया में अमन चैन और सबका साथ सबके विकास की दुआ की गई है।
पवित्र रमजान माह में पूरे धैर्य के साथ

धार्मिक नियमों का पालन करते हुए प्रतिदिन रोजा रखना ही ईद है

सामाजिक कार्यकर्ता सैफ हुसैन ने बताया कि धैर्य और सौहार्द का नाम ही ईद है। पवित्र रमजान माह में पूरे धैर्य के साथ धार्मिक नियमों का पालन करते हुए प्रतिदिन रोजा रखना धैर्य ही है। इस त्याग और बलिदान के पश्चात ही महीने के प्रथम दिन ईदगाह में नमाज अदा कर हम ईद की खुशियां मनाते है।

छोटे-छोटे बच्चों ने भी रखा रोजा और ईद को यादगार बनाया
दिन भर भूखे प्यासे रहकर अजान के बाद नमाज पढ़ना, फिर शाम में निश्चित समय के बाद अजान सुनना फिर रोजा खोलना ऐसे कठिन मौसम में रोजा रखकर बच्चों ने ईद को यादगार बनाया। ईद की मुबारक देते हुए कई बच्चों ने बताया कि वह पहली बार रोजा रखकर इसे सफल बनाया है। पहले बच्चों के रोजा रखने की संख्या काफी कम हुआ करती थी लेकिन पिछले दो तीन साल में रोजा रखने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है।

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