सिमरातरी उर्दू विद्यालय में बच्चे गायब,सात में चार शिक्षक मौजूद

संतोष कुमार ।

प्रखण्ड मुख्यालय से सुदूरवर्ती पंचायत सवैयाटांड़ के सिमरातरी गांव स्थित प्राथमिक उर्दू विद्यालय में भारी अनियमितता व्याप्त है।विद्यालय में समय से पहले बच्चों की छुट्टी हो जाती है।बच्चों के साथ-साथ शिक्षकगण भी विद्यालय छोड़कर अपने निजी कार्यो में जुट जाते है।प्राथमिक उर्दू विद्यालय मुख्यालय से दूर रहने के कारण प्रभारी प्रधानाध्यापक कारी मो. मोबिन के द्वारा भारी अनियमितता बरती जा रही है।साथ ही उन्हें प्रखण्ड से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारियो से जरा सा भी डर नहीं है।वहीं शिक्षकगण भी विद्यालय और देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्र-छात्राओं को अंधकार में झोंककर कार्यालय में बैठकर गप्पे हांकने में व्यस्त रहते हैं।शनिवार के दिन लगभग 2:30 बजे विद्यालय में नामांकित 151 बच्चों में एक भी बच्चे उपस्थित नहीं थे।वहीं विद्यालय का हर कमरा खाली पड़ा था।विद्यालय के कार्यालय में शिक्षक ललन कुमार के अलावे शिक्षिका सुरैया तरन्नुम,नाजनी सबा व रेणु कुमारी आपस में बातचीत करते नजर आये।

उनसे विद्यालय के बारे में पूछे जाने पर कहा गया कि प्रभारी प्रधानाध्यापक आकस्मिक छुट्टी पर हैं।वहीं प्रभारी प्रधानाध्यापक कारी मो. मोबिन के छुट्टी रहने पर विद्यालय के देखरेख की जिम्मेंमदारी शिक्षक असलम खान पर थी,जो अपने निजी काम से विद्यालय छोड़कर चले गए थे एवं शिक्षक श्रवण कुमार को बीएलओ के मीटिंग में रहने की बात कही गई।वहीं विद्यालय में बचे शेष चार शिक्षक विद्यालय के बन्द होने के समय का इन्तेजार कर रहे थे।जबकि शिक्षकों ने ही बताया कि विद्यालय सुबह 9 बजे से लेकर 4:30 बजे तक का होता है।शनिवार को विद्यालय में नामांकित 151 बच्चों में 95 बच्चे विद्यालय आये थे और 2 बजे तक सभी बच्चे चले गए।साथ ही उन्होंने बताया कि शनिवार को मध्याह्न भोजन में बच्चों को खिचड़ी और चोखा खिलाया गया था।वहीं ग्रामीणों ने बताया कि इस विद्यालय में सात शिक्षकों में कुछ लोग विद्यालय आकर चले जाते हैं।साथ ही कहा कि मध्याह्न भोजन में भी काफी अनियमितता बरती जाती है एवं जानबूझकर बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है।जब ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जाता है,तो शिक्षकगण कहते हैं कि जाओ और जहां शिकायत करना है करो,हमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।अब जब शिक्षकगण ही विद्यालय और बच्चों के प्रति कर्तव्यो छोड़कर स्वार्थी बने रहेंगे,तो ऐसे में बिहार में बेहतर शिक्षण व्यवस्था की कल्पना करना बेईमानी होगी।

क्या कहते हैं पदाधिकारी –

इस बाबत पर प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी ए. वर्षा से जब दूरभाष के माध्यम से जानकारी लेने का प्रयास किया गया,तो उन्होंने सोमवार को जांच कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात कही है।