आईआईएम बोधगया ने मोहदार गाँव में की स्पर्श कार्यक्रम की शुरुआत

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार )- आईआईएम बोधगया द्वारा ग्लैड भारत फाउंडेशन के सहयोग से “स्पर्श” (ग्रामीण छात्रों की समग्र शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के नेतृत्व हेतु कदम) पहल की शुरुआत किया गया .प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के शैक्षिक सशक्तिकरण पर केंद्रित यह पहल आईआईएम बोधगया द्वारा गोद लिए गए 5 गांवों में से एक मोहदार गांव में की गयी. गोद लिए गए गांवों में तुरी बुज़ुर्ग, तुरी खुर्द, बापूनगर और रामपुर भी शामिल हैं.संस्थान इन गांवों में विभिन्न सामुदायिक विकास गतिविधियों में सक्रिय रूप से संलग्न है, जैसे तुरी खुर्द में त्ज़ु ची द्वारा किया गया स्वास्थ्य सर्वेक्षण और महुदर में कंबल वितरण.आईआईएम बोधगया की सीएसआर कमिटी प्रगति के 12 छात्रों एवं 3 फैकल्टी गण, चेयरपर्सन- सीएसआर, डॉ. सुरेश केजी , को-चेयरपर्सन – सीएसआर, डॉ. जॉनसन अभिषेक मिंज़ एवं डॉ. गार्गी रॉय की एक टीम ने ग्लैड भारत फाउंडेशन के श्री अहमद एवं प्राथमिक विद्यालय, महुदार की प्रिंसिपल श्रीमती रूबी कुमारी के साथ छात्रों के लिए शिक्षा के अनुभवों को बढ़ाने के उद्देश्य से इस परियोजना को शुरू किया. इस कार्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के 100 से अधिक छात्र, एवं उपरोक्त सभी की उपस्थिति ने इस पहल को लेकर समाज के उत्साह और समर्थन को उजागर किया.आईआईएम बोधगया के छात्रों और डॉ. गार्गी रॉय द्वारा ऐक्टिविटीज़ में एक संवादात्मक शैक्षिक सत्र शामिल रहा जिसने शिक्षा को छात्रों के लिए मज़ेदार और प्रभावपूर्ण बनाया.डॉ. सुरेश केजी ने कहा कि आईआईएम बोधगया और ग्लैड भारत फाउंडेशन के बीच यह सहयोग छात्रों को मूल्यवान शिक्षण अनुभव प्रदान करेगा एवं इससे जुड़ी अतिरिक्त कक्षाएं छात्रों को दीर्घकालिक लाभ प्रदान करेंगी.कार्यक्रम में भाग लेने वाले एक छात्र ने अपने पसंदीदा शिक्षक का उल्लेख करते हुए सत्रों के माध्यम से नई चीजें सीखने करने पर खुशी व्यक्त की.

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“स्पर्श” कार्यक्रम प्राथमिक स्तर के छात्रों के ज्ञान को बढ़ाकर उनकी शैक्षिक नींव को मजबूत करने तथा संचार पूर्ण शिक्षण सत्रों, महत्वपूर्ण निर्देश और साप्ताहिक एवं मासिक आधार पर आयोजित नियमित मूल्यांकन के माध्यम से सीखने के परिणामों में सुधार करने की दिशा योगदान देने के साथ-साथ ग्रामीण छात्रों के समग्र विकास के लिए कहानी कहने और दिलचस्प अंग्रेजी अभ्यास सत्र सहित विशेष सत्र भी प्रदान करेगा.भाषा कौशल और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए छात्र अपनी पाठ्यपुस्तकों से अंग्रेजी और हिंदी सामग्री को ऊँचे स्वर से पढ़ने में भी संलग्न होंगे. यह पहल सूक्ष्म स्तर पर बिहार के शैक्षिक विकास में योगदान देने के साथ ही बिहार में साक्षरता दर में सुधार और राज्य में शैक्षिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है, जिससे अंततः दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रगति होगी.