आईआईएम बोधगया के छात्र ग्लैड भारत फाउंडेशन इंटर्नशिप के साथ कर रहे सामाजिक परिवर्तन का नेतृत्व

विश्वनाथ आनंद ।
गया( बिहार )- आईआईएम बोधगया के 29 छात्र सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सामाजिक ज़िम्मेदारी और समर्पण का प्रदर्शन करते हुए ग्लैड भारत फाउंडेशन के साथ इंटर्नशिप पर निकले.इस साझेदारी के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए दो महत्वपूर्ण परियोजनाएं सामने आईं.पहली पहल, पैड एटीएम परियोजना जो किशोर लड़कियों और ग्रामीण महिलाओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता की व्यापक समस्या के समाधान के लिए बनाई गई. यह समझते हुए कि सैनिटरी पैड की कितनी सख्त ज़रूरत है एवं यह किफायती होने के साथ ही आसानी से उपलब्ध भी है, छात्रों ने इसे पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास किया.रचनात्मक साधनों और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से, उन्होंने गांव में पैड एटीएम स्थापित करके सैनिटरी पैड वितरण के लिए मार्ग तैयार किए, जिससे महिलाओं और लड़कियों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में मदद मिल सके, जिन्हें कभी-कभी अनदेखा कर दिया जाता है.

दूसरी पहल, डोनेट वेस्ट, डिस्कवर बेस्ट अभियान का उद्देश्य समाज के विशेषाधिकार प्राप्त और वंचित वर्गों के बीच के फर्क को मिटाना रहा. छात्रों ने सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को किताबों तथा समाचार पत्रों जैसी अतिरिक्त वस्तुओं को दान करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न संस्थानों में सेमिनार आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पहल ने दान और सामुदायिक सहभागिता की भावना को बढ़ावा दिया.प्रो. जॉनसन मिंज़ के प्रोत्साहन और निर्देशन ने इस महत्वपूर्ण साझेदारी का मार्गदर्शन करते हुए छात्रों के सराहनीय प्रयासों में इज़ाफ़ा किया, जिस दौरान अपने इंटर्नशिप अनुभव के बारे में, छात्रों ने उससे मिली सीख और संतोष के बारे में बात की. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक धर्म स्वच्छता से जुडी कठिनाइयों को देखने पर जोर देते हुए उन्हें पैड एटीएम परियोजना जैसे समाधानों पर काम करने के लिए प्रेरित किया.उनके सामाजिक कार्य अनुभव ने समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए उनके अंदर देश का एक ज़िम्मेदार नागरिक बनने की इच्छा जगाई.ग्लैड भारत फाउंडेशन के साथ इन छात्रों द्वारा बिताया गया समय प्रेरणा का एक प्रकाशस्तंभ है, जिससे जब वे अपने शैक्षणिक प्रयासों में लौटते हैं तब उनमें समाज को सशक्त एवं उन्नत बनाने वाले कार्यों का समर्थन जारी रखने की लगन पैदा होती है.