80 वर्ष की उम्र में जागा जोश पुराना था, सब कहते है, बाबू कुंवर सिंह बड़ा वीर मर्दाना था _ कांग्रेस

मनोज कुमार ।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर जी की 166 वीं विजयोत्सव स्थानीय मुफाशिल तिनमुहानी गोलंबर पर इनके वर्षो से प्रस्तावित प्रतिमा स्थल पर कांग्रेस पार्टी के तत्वाधान में मनाई गई।
सर्व प्रथम इनके चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् इनके व्यक्तित्व एवम् कृतित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला गया।
विजयोत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह क्षेत्रीय प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिठू ने किया तथा संचालन जिला कांग्रेस के महासचिव प्रो अमरेंद्र कुमार सिंह उर्फ मंटू सिंह ने किया।
विजयोत्सव को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा की आज ही के दिन सन 1858 को घायल अवस्था में अपने वीरगति के पहले बाबू वीर कुंवर सिंह ने जगदीशपुर किले पर दोबारा कब्जा किया था। 1857 के विद्रोह का एकमात्र रणनीतिकार कुंवर सिंह की वीर गाथाएं भोजपुर में आज भी याद की जाती है की 80 वर्ष के उम्र में जागा जोश पुराना था सब कहते हैं बाबू कुंवर सिंह बड़ा वीर मर्दाना था, कैलस जे देश पर जोर जुल्म हो फिरंगिया, सुनी सुनी कुंवर सिंह के कालेजवा में लगे ला अगिया।
सन 1857 की क्रांति राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश हुकूमत के विरोध में जाति, धर्म से ऊपर उठ कर आम भारतीयों का पहला सामूहिक सावतंत्रता संग्राम था, परंतु अंग्रेज इतिहासकारों ने इसे सिपाही विद्रोह अथवा क्षेत्रीय असंतोष का प्रतिफल बता कर इसके महत्व को कम करने की काफी कोशिश की। उस समय 80वर्षीय बाबू वीर कुंवर सिंह के नेतृत्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के जवान जान हथेली पर लेकर निकल पड़े थे।
नेताओ ने राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, गया नगर निगम को वर्षो से मुफाशील तिनमुहानी पर बाबू वीर कुंवर सिंह की प्रस्तावित प्रतिमा स्थल पर इनके आदम कद प्रतिमा स्थापित कराने की मांग किया।
कार्यक्रम को अभिषेक श्रीवास्तव, सुनील कुमार राम, विनोद उपाध्याय, सुजीत कुमार गुप्ता, सुरेंद्र मांझी, अनूप कुमार सिंह, भोला चौबे, श्याम सुंदर सिंह आदि ने संबोधित किया।