फिर लहराया 205 कोबरा का परचम, गृह मंत्री ने प्रदान की सर्वश्रेष्ठ कोबरा बटालियन की ट्रॉफी

धीरज ।

गया।बिहार राज्य में पिछले एक दशक से तैनात 205 कोबरा बटालियन के अप्रतिम शौर्य, त्याग, बलिदान और
समर्पण को सम्मानित करते हुए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की 84वीं वर्षगाँठ पर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित
स्थापना दिवस परेड के दौरान गृह मंत्री श्री अमित शाह ने बटालियन के कमांडेंट कैलाश को सर्वश्रेष्ठ कोबरा बटालियन की ट्रॉफी प्रदान की। इस क्रम में यह उल्लेखनीय है कि 2009 में अपनी स्थापना के बाद से 205 कोबरा ने
सभी कोबरा बटालियनों के बीच अपनी एक ख़ास जगह बनाते हुए सर्वाधिक छः बार और इस वर्ष लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ कोबरा बटालियन की ट्रॉफी अपने नाम की है। पिछले वर्ष भी माननीय गृह मंत्री ने जम्मू में आयोजित सीआरपीएफ़ दिवस परेड के दौरान कमांडेंट कैलाश को सर्वश्रेष्ठ कोबरा बटालियन की ट्रॉफी प्रदान की थी। इस दौरान बिहार के गया-औरंगाबाद के सीमावर्ती इलाक़े के चकरबंधा जंगलों में काफ़ी मज़बूत स्थिति में बैठे नक्सलियों का क़िला ध्वस्त करने के क्रम में इस बटालियन के शूरवीर कमांडोज़ ने एक कीर्ति चक्र, तीन शौर्य चक्र तथा अनगिनत वीरता पुरस्कार जीत कर इस बटालियन का तथा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल का मान बढ़ाया है।सिर्फ़ यही नहीं, राष्ट्र सेवा में समर्पित इन रणबाँकुरों ने न सिर्फ़ चकरबंधा का मज़बूत क़िला ढहाया, बल्कि बिहार झारखंड की सीमा पर मौजूद चतरा, पलामू, हज़ारीबाग़ जैसे ज़िलों में भी सतत अभियान चलाकर नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाया और वर्ष 2022 के दौरान झारखंड में चलाये गये विशेष अभियानों के दौरान बूढ़ा पहाड़ से नक्सल आतंक का सदा-सदा के लिए ख़ात्मा करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभायी। इन अग्रणी परिचालनिक
भूमिकाओं से इतर इस बटालियन ने अपने आस पास के ग्रामीणों के सर्वांगीण विकास हेतु भी समय समय पर चिकित्सा शिविर, शैक्षणिक कार्यशाला, खेल-कूद तथा विभिन्न सामाजिक और स्वास्थ्य गतिविधियों पर जागरूकता अभियान चला कर लोगों को विकास की धारा से जोड़े रखने का कार्य किया है। इस क्रम में कमांडेंट कैलाश ने
बटालियन को छठी बार सर्वश्रेष्ठ कोबरा बटालियन की ट्रॉफी मिलने पर खुशी जाहिर की और इसका श्रेय बटालियन
के सभी जवानों और अधिकारियों को दिया। उन्होंने बताया कि सभी के समेकित प्रयास, त्याग और अथक परिश्रम का ही नतीजा है कि आज चकरबंधा नक्सल आतंक से उबर पाया है और इस ट्रॉफी से पूरी बटालियन के मनोबल में कई गुना वृद्धि होगी। उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस बल को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि
बटालियन भविष्य में भी राष्ट्र सेवा में सभी के साथ इसी सामंजस्य और तालमेल के साथ कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहेगी। ज्ञातव्य है कि औरंगाबाद-गया सीमा के चकरबंधा जंगलों में नक्सलियों का ख़ौफ़ कुछ इस तरह पसरा हुआ था कि कोई भी वहाँ पहुँच पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था, परंतु वर्ष 2022 के जनवरी माह से लगातार विशेष अभियान
चलाकर 205 कोबरा के अधिकारियों और जवानों ने कमांडेंट कैलाश के प्रेरणादायी नेतृत्व में इस पूरे इलाक़े के दुर्गम
और बीहड़ जंगलों को न सिर्फ़ नक्सलियों के आतंक से सदा के लिये मुक्त किया, बल्कि आज़ादी के 75 वर्षों के बाद अपने भागीरथी प्रयास से पचरूखिया और लंगूराही जैसे गाँवों में बिजली और सड़क पहुँचाने का मार्ग भी प्रशस्त किया। 205 कोबरा के द्वारा चलाये गये इन विशेष अभियानों के दबाव में नक्सलियों की समस्त गतिविधियाँ छिन्नभिन्न हो गयीं और कई दुर्दात नक्सलियों ने प्राण जाने के भय से बीते वर्ष आत्मसमर्पण कर दिया। सिर्फ़ यही नहीं, नक्सलियों ने पूरा जंगल बारूदी सुरंगों से पाट दिया था जिसकी चपेट में आये दिन निर्दोष ग्रामीण और निरीह वन्य जीव आ ज़ाया करते थे। ऐसी प्राणघातक परिस्थितियों के मध्य 205 कोबरा के जाँबाज़ पूरे वर्ष इन इलाक़ों में बिछी बारूदी
सुरंगों को साफ़ करते रहे और इस दौरान कर्तव्यपथ पर निरंतर आगे बढ़ते हुए उन्होंने हज़ारों बारूदी सुरंगों को ध्वस्त कर इलाक़े को एक बार फिर सुरक्षित एवं मनुष्य एवं वन्य प्राणियों के प्रवास के अनुकूल बनाया है। आज 205 कोबरा के बलिदान और अथक परिश्रम से ही यह संभव हो पाया है कि वर्ष 2022 में पहली बार पचरुखिया गाँव में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा अपनी पूरी शान से लहराया और आज इन गावों के ग्रामीण आज़ादी के सही मायने समझ
पा रहे हैं और वास्तव में खुली हवा में बिना किसी डर के साँस ले पा रहे हैं तथा अपनी आजीविका चला रहे हैं।