मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद लोगों को दी श्रद्धांजलि

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विश्वनाथ आनंद .
औरंगाबाद (बिहार) :- कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले विरोध में शुक्रवार को जुम्मे की नमाज में हाथ पर काला पट्टी बांधकर मुस्लिम समुदाय ने मस्जिद में नमाज अदा की नमाज अदा के बाद मस्जिद के बाहर जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सभी को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। मुस्लिम समुदाय के नमाजियों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद, आतंकवाद मुर्दाबाद, पाकिस्तान का झंडा पोस्टर को जलाया गया। विरोध मार्च निकाल कर प्रदर्शन किया। मार्च में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल रहे। नेतृत्व पैगामी इंसानियत के जिलाध्यक्ष मो. शाहनवाज रहमान उर्फ सल्लू खान, वार्ड परिषद सिकंदर हयात, जामा मस्जिद के सेक्रेटरी नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष रईस, आजम खान के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि जामा मस्जिद पर जुटे मुसलमानों ने पाकिस्तान को साफ चुनौती देते हुए कहा हिन्दुस्तान का मुसलमान दहशतगर्दी के खिलाफ है। उन तमाम कश्मीर के भाइयों को सलाम करता है। जिन्होंने कश्मीर में आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने का काम किया है। आज हिन्दुस्तान का हर मुसलमान उन सभी परिवारों के साथ है। जिनके घर का चिराग आतंकवादियों ने बुझा दिया है। हिन्दुस्तान का 30 करोड़ मुसलमान आतंकवाद को हिन्दुस्तान में किसी भी सूरत में पनपने नहीं देगा। बेगुनाह इंसानों का कत्ल इंसानियत का कत्ल है। जामा मस्जिद की सीढ़ियों से हम कहना चाहते हैं।

आज से 75 साल पहले हिन्दू, मुसलमान, सिख और इसाई ने मिलकर हिन्दुस्तान की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। अब आज से हिंदू, मुसलमान, सिख और इसाई आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा। कहा कि पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, यह शर्मनाक हरकत है. ऐसी हरकत है कि निंदा करने के लिए शब्द भी कम पड़ गए। जिन लोगों को धर्म का नाम पूछकर मारा गया, वो वहां अपने परिवार के साथ घूमने गए थे। कहा मैं समझता हूं कि यह अभ्यर्थियों का काम है। उनका इस्लाम के साथ कोई संबंध नहीं हो सकता। भारत सरकार से मांग की कि हर बार आतंकियों को पकड़ा जाता है, लंबे मुकदमे चलते हैं. इस मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए। आरोपियों को पकड़कर फास्ट ट्रैक की अदालत में मुकदमा चलाया जाए और किसी बाजार के अंदर उनको सजा-ए-मौत देनी चाहिए, ताकि आतंकवाद के खिलाफ भारत की ओर से एक मजबूत संदेश दुनिया को दिया जा सके। कहा कि इस दुख की घड़ी में इस बात का ऐलान होना चाहिए कि हम सब आतंकावाद के खिलाफ हैं और आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. धर्म पूछकर जो गोली मारे, वो सबसे बड़ा अदर्मी है, उनके खिलाफ कार्रवाई करना हम सब का धर्म है। हम सभी को मिलकर यह दिखाना होगा कि कोई भी ताकत, चाहे वो देश के बाहर की हो या भीतर की, हमारे मुल्क की एकता और अमन को नहीं तोड़ सकती है। इस नफरत और खौफ के खिलाफ हमारा सबसे बड़ा हथियार है। जामा मस्जिद के सदस्य मो. अब्बास, मो. मुन्ना, मो. मजहर, अकबर मजहबी, मो. नदीम, मो. राशिद, मो. मुस्ताक, मो. शादाब खान, मो. हसनैन, मो. फारूक, मो. नौशाद राजा, नईमुद्दीन उर्फ नाथू सहित मौजूद रहे।