चैती छठ के द्वितीय दिवस पवित्रता और सात्विकता के परिचायक खरना कार्यक्रम संपन्न

विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद( बिहार)- औरंगाबाद जिला के देव प्रखंड स्थित भास्कर की नगरी से विख्यात देवधाम मे चैती छठ के द्वितीय दिवस पवित्रता और सात्विकता के परिचायक खरना का कार्यक्रम भक्तों, श्रद्धालुओं द्वारा हर्षोउल्लास के साथ किया गया. वहीं दूसरी तरफ भक्तों श्रद्धालुओं द्वारा नदी, तालाबों के घाटों सजाया संवारा गया. जो आकर्षण का केंद्र बना रहा है. जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा की दृष्टिकोण से चौक चौराहों से लेकर तालाबों ,नदियों तक चौकसी के साथ पुलिस बल एवं दंडाधिकारियों की तैनाती की गई है. बताते चलें कि औरंगाबाद जिला के देव प्रखंड स्थित भास्कर नगरी से विख्यात देवधाम के सूर्य मंदिर में भगवान तीनों स्वरूप अर्थात ब्रह्मा, विष्णु , महेश के रूप में विराजमान है.
वहीं दूसरी तरफ यह मंदिर पश्चिमभिमुख है. हालांकि कई स्थानों के सूर्य मंदिर का दरवाजा पूरब दिशा की ओर है. देव भास्कर के नागरिको की बात सच मानी जाए तो कहना है कि देव का सूर्य मंदिर प्राचीन काल की है. तथा भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं इस मंदिर का काले पत्थर को सजाकर निर्माण किए हैं. वही एक कुष्ठ से ग्रसित राजा ने तालाब में हाथ धोने गया ,जहां तालाब के पानी से सभी कुष्ठ की बीमारियां समाप्त हो गया. उन्होंने आगे कहा कि देव भास्कर की नगरी का सूर्य मंदिर पश्चिमविमुख है. इसका मुख्य कारण है कि मुगल शासक के समय एक शासक ने मंदिर को तुड़वाना चाहा. भक्तों श्रद्धालुओं ने इसका विरोध किया. शासको ने कहा कि अगर तुम्हारे भगवान में इतना शक्ति है ,तो पूरब की मुख को पश्चिम की दिशा हो जाएगा तो इस मंदिर को नहीं तोडूंगा. देखते देखते सूर्य की मंदिर की मुख पूरब की दरवाजा पश्चिम की ओर हो गया. शासको ने अपनी पराजय को स्वीकार किया. आज भी देव भास्कर की नगरी का सूर्य मंदिर पश्चिमविमुख है. जहां भक्तों श्रद्धालुओं द्वारा पवित्रता के साथ इस पर्व को धूमधाम से मानते हैं. हालांकि यह महापर्व बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है. श्रद्धालु भक्तों का कहना है कि सूर्य की उपासना करने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलता है. औरंगाबाद जिला के अनुमंडल प्रखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों में भी भक्तों, श्रद्धालुओं ने भक्तिमय वातावरण में गीतों के स्वरों से गूंजते हुए पूजा अर्चना किया.