महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं पंडित यदुनंदन शर्मा की वर्षों से सरकारी उपेक्षा क्यों? – कांग्रेस

विश्वनाथ आनंद
गया( बिहार)-शहीदे आज़म भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की फांसी की सजा मे मुखबिरी करने एवं ब्रिटिश हुकूमत के सरकारी गवाह बनने वाले फानीन्द्र नाथ घोष को मौत की नींद सुलाने वाले बैकुण्ठ शुक्ल को 14 मई 1934 को गया केन्द्रीय कारा में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा फांसी की सजा दी गई थी, परंतु वर्षों से बिहारवासियों के मांग के वाबजूद ना तो गया केन्द्रीय कारा का नामकरण शहीद बैकुण्ठ शुक्ल केंद्रीय कारा किया गया, ना ही गया के अनुग्रह पूरी कॉलोनी स्थित शहीद बैकुण्ठ शुक्ल पार्क में इनकी आदम कद प्रतिमा स्थापित हुई, तथा गया गांधी मैदान के दक्षिणी छोर पर गेट नंबर 09 के शहीद बैकुण्ठ शुक्ल गेट पर गलत नाम तक ठीक नहीं किया गया।
दुसरी ओर भारत के कार्ल मार्क्स कहे जाने वाले स्वामी सहजानंद सरस्वती के अभिन्न साथी मध्य दक्षिण बिहार के किसान मजदूर के मसीहा पंडित यदुनंदन शर्मा के नाम पर वर्षों से गया जिला अंतर्गत बेलागंज प्रखंड के नियामतपूर स्थित इनके आश्रम की न तो अभी तक चाहरदीवारी हुई, ना ही आश्रम स्थित पुस्तकालय जहां नेता जी सुभाष चंद्र बोस, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, सहित सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानी का प्रवास स्थल अभी तक उपेक्षित है, जिस महान स्वतंत्रता सेनानी के लिय बिहार के गांवों में किसान- मजदूर गीत गाते थे कि लेलन पंडित यदुनंदन शर्मा अवतार, हरेलन दुःख किसान के ।
उपर्युक्त बातें बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं पंडित यदुनंदन शर्मा के विरासत बढ़ाओ संघर्ष समिति के रणजीत बानभट्ट , रवि शंकर शर्मा, डॉ मदन कुमार सिन्हा, विपिन बिहारी सिन्हा, विशाल कुमार आदि ने कहा कि शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल एवं पंडित यदुनंदन शर्मा के विरासत, गौरवशाली अतीत, वीरता, क्रांति, संघर्ष, विचार को जिवंत रखने के लिए वर्षों से गया केन्द्रीय कारा का नामकरण शहीद बैकुण्ठ शुक्ल कराने, उनके रहने वाले कोठरी को आजादी संघर्ष गाथा केंद्र बनाने, उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित कराने आदि तथा नियमतपूर आश्रम का चहुंमुखी विकास कराने हेतु लगातार आंदोलन कर सूबे के मुख्यमंत्री सहित गया आने वाले सभी केंद्र एवं राज्य सरकारों के मंत्री, सभी राजनीतिक दलों के नेता स्थानीय सांसद, विधायक, विधान पार्षद, सहित सभी जन प्रतिनिधि को इस दोनों महा पुरुषों के लिए मांग संबंधी ज्ञापन सौंपा गया है, परंतु ना जाने क्यों अभी तक इन जायज मांगों को बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन अभी तक नहीं कर रही हैं, जिससे बिहार वासियों के दिल में कुछ बातें कौंध रही है।