फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 16 प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन अभियान

मनोज कुमार ।

हाथीपांव व हाइड्रोसील रोग की रोकथाम के लिए खिलायी जायेगी दवा

गया, 16 जनवरी: फाइलेरिया को आमभाषा में हाथीपांव कहते हैं। इस रोग के उन्मूलन को लेकर आगामी माह 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन अभियान यानि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन चलाया जायेगा। यह अभियान जिला के 16 प्रखंडों तथा सात शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में संचालित किया जायेगा। एमडीए अभियान के दौरान लोगों को फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराया जाना है। स्वास्थ्यकर्मी, आशा तथा आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका की टीम लोगों को तीन प्रकार की दवा का सेवन करायेंगी। इसमें अल्बेंडाजोल, डीईसी और आइवमेक्टिन शामिल है। उम्र और लंबाई के अनुसार दवाओं का सेवन कराया जायेगा। स्वास्थ्यकर्मी लोगों को दवा का सेवन अपने सामने ही करायेंगे। यह बातें गुरुवार को एमडीए अभियान से पूर्व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के कॉम्यूनिटी हेल्थ अफसरों के लिए आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने कही। प्रशिक्षण के पहले दिन आमस, बांकेबाजार, बाराचट्टी, बेलागंज, डोभी, डुमरिया, फतेहपुर प्रखंड के सीएचओ ने हिस्सा लिया। अन्य बचे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के सीएचओ तथा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों का प्रशिक्षण क्रमश: 18 और 20 जनवरी को भी किया जाना है। प्रशिक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ राजाराम प्रसाद, डीपीएम नीलेश कुमार, सीडीओ डॉ पंकज, डब्ल्यूएचओ के सर्विलांस मेडिकल अफसर डॉ कुणाल, यूनिसेफ से अजय चेरोबिम, पीरामल फाउंडेशन से अमित व अरुण, वीडीसीओ अजय कुमार व अन्य स्वास्थ्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

इन प्रखंडों में चलेगा एमडीए अभियान:
आमस, बांकेबाजार, बाराचट्टी, बेलागंज, डोभी, डुमरिया, फतेहपुर, गुरारू, गुरुआ, इमामगंज, खिजरसराय, मोहनपुर, मोहड़ा, परैया, शेरघाटी, एवं टनकुप्पा सहित सभी सात शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एमडीए—आइडीए अभियान चलाया जायेगा।

साल में एक बार दवा का सेवन जरूरी:
डॉ एमई हक ने प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को दवा सेवन के तरीकों की जानकारी देते हुए बताया कि हाथीपांव से बचाव के लिए सेवन करायी जाने वाली दवा को लेकर लोगों को जागरूक करें। दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा अतिगंभीर रोग से ग्रसित लोगों को नहीं करानी है। एमडीए की दवा फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा साल में अभियान चलाकर एक बार खिलायी जाती है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक प्रतिशत से अधिक माइक्रोफाइलेरिया दर होने पर उन जगहों पर एमडीए अभियान चलाया जाता है। बताया कि दवा का सेवन खाली पेट नहीं कराना है। अल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खानी है। दवा सेवन के बाद यदि किसी को चक्कर या उल्टी आता है तो यह शरीर में माइक्रोफाइलेरिया की मौजूदगी के लक्षण हैं।

फाइलेरियारोधी दवा पूरी तरह सुरक्षित:
सिविल सर्जन ने कहा कि फाइलेरियारोधी दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। आशा या अन्य स्वास्थ्यकर्मी के पास रोग प्रबंधन करने की सभी सामग्री मौजूद रहेगी। बताया कि हाथीपांव रोग क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसके लक्षण पांच से पंद्रह साल बाद भी दिख सकते हैं। पैर, हाथ या अंडकोश में सूजन इसके लक्षण होते हैं। हाथीपांव को लेकर कई भ्रांतियां हैं। लेकिन लोगों को यह जानना चाहिए कि यह रोग क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। और यह रोग किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। ऐसे में दवा सेवन ही एकमात्र बचाव है। साथ ही मच्छरदानी का इस्तेमाल और मच्छर को पनपने से रोकने के लिए साफ—सफाई जरूरी है।