मंकीपॉक्स को लेकर गया एयरपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात
मनोज कुमार ।
अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के बीते 21 दिनों की ट्रैवल हिस्ट्री की होगी जांच
गया, 09 सितंबर: जिला में मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग सर्तक और सजग है। मंकीपॉक्स को लेकर गया एयरपोर्ट में यात्रियों की स्कीनिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को तैनात किया गया है। इस टीम में एक डॉक्टर, एक पारामेडिकल स्टाफ तथा एक नर्स हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण के लेकर स्वास्थ्य विभाग डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कि एयरपोर्ट पर विशेषकर स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात की गयी है। बताया कि गया एयरपोर्ट पर हेल्थ लगाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंकी पॉक्स कों पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बताया गया है। इसके मद्देनजर गया एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों की जरूरी जांच की जायेगी। मंकीपॉक्स को लेकर सिविल सर्जन द्वारा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के निदेशक को आवश्यक दिशा—निर्देश का अनुपालन करने के संबंध में कहा गया है।
21 दिनों का ट्रैवल हिस्ट्री का लेना है विवरण:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्विलांस मेडिकल आॅफिसर डॉ कुणाल ने बताया कि गया एयरपोर्ट पर आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की बीते 21 दिनों की यात्रा इतिहास का विवरण लिया जाये। यात्रा इतिहास में यह देखा जाना है कि यात्री ने मंकीपॉक्स के एंडेमिक जोन में यात्रा किया है अथवा नहीं। साथ ही यात्री का ट्रैवल सेल्फ डिक्लारेशन फॉर्म भरा जायेगा। अगर कोई संदिग्ध मामला पाया जाता है तो मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसे आइसोलेशन में रखा जायेगा।मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जो मुख्यत: मध्य पश्चिमी अफ्रीका में सामने आया है। यहां से यह कई अन्य देशों में फैला है। इस वर्ष अगस्त माह में मंकी पॉक्स के मामले दक्षिण अफ्रीका, केन्या, रवांडा, युगांडा, कांगो गणराज्य, बुरुंडी, मध्य अफ्रीका, कांगो, कैमेरून, नाइजीरिया, आइवरी कॉस्ट, लेबेरिया में आये हैं। इन देशों से मंकीपॉक्स के मामले स्वीडन तथा पाकिस्तान में भी पहुंचे हैं। भारत के केरल में मंकी पाक्स का एक मामला रिपोर्ट किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की है एडवाइजरी:
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी के मुताबिक त्वचा पर चकते, बुखार और सुजे हुए लिम्फ नोड तथा सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द या थकावट, गले में खराश और खांसी इसके लक्षण हैं। यह अपने आप ठीक होने वाली बीमारी है। यानि इसके लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं। संक्रमण से बचने के लिए चकते या अल्सर को एंटीसेप्टिक घोल से साफ करना चाहिए। रोगी को अस्पताल के आइसोलेशन रूम में या घर में ही हवादार कमरे में रखना चाहिए।