ड्रेसर समेत चिकित्सकों की कमी के बीच कागजों पर संचालित हो रहा ट्रामा सेंटर
संतोष कुमार .
अनुमण्डलीय अस्पताल बीते कई वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के आभाव से जूझ रहा है।जबकि बीते कुछ माह से इस अस्पताल को कागजों पर ट्रामा सेंटर युक्त अस्पताल घोषित है।अस्पताल में ड्रेसर समेत महिला चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है।अस्पताल में बगैर रेडियोलोजिस्ट के नाम मात्र का एक एक्सरे मशीन एवं टेक्नीशियन की मदद से संचालित किया जा रहा है।वहीं अस्पताल में अल्ट्रासाउंड एवं ब्लड बैंक की व्यवस्था नदारद है।बगैर एक्सरे रिपोर्ट के मरीजों के टूटे-फूटे हड्डियों को देखकर चिकित्सक मरीज को रेफर कर देते हैं।लाखों रुपये खर्च किये जाने के बाद बना पीकू रूम में भी धूल की परतें जमी पड़ी है।साथ ही जिले के एकमात्र एनआरसी में भी भारी अनियमितता है।वहीं पैथोलॉजी में भी मात्र 10 से 11 प्रकार की जांच की सुविधा उपलब्ध है।जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।साथ ही फार्मासिस्ट एवं लैब टेक्निशियन अपने-अपने कक्ष को ओपीडी के समय ही खोलते हैं और बन्द करते हैं।जिससे इमरजेंसी में आनेवाले मरीजों को दवाई,सुई,जांच आदि के लिए बाजार जाना पड़ता है।जिसके कारण मरीजों एवं उनके परिजनों को मानसिक,शारिरिक एवं आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।स्थानीय लोगों का कहना है कि सदर अस्पताल में इस तरह के बिल्डिंग नहीं है,फिर भी वहां ज्यादा सुविधाएं हैं।जबकि रजौली अस्पताल में बिल्डिंग है,किन्तु बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है।
बिना एक्सरे रिपोर्ट से होती है परेशानी
अनुमंडलीय अस्पताल में बीते दो-तीन वर्षों से एनजीओ की मदद से एक्सरे मशीन एवं टेक्नीशियन द्वारा अस्पताल में आने वाले जरूरतमंद मरीजों का एक्सरे किया जाता है।एक्सरे के बाद चिकित्सक बिना एक्सरे रिपोर्ट के धूप अथवा लाइट की मदद से एक्सरे फ़िल्म को देखकर अनुमान लगाते हैं एवं मरीज को अनुमान के आधार पर ही दवाई आदि देकर छुटकारा पा लेते हैं।जबकि रजौली से घाटी क्षेत्र एवं फोरलेन सड़क के आसपास प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में सामान्य एवं गम्भीर रूप से घायल मरीज इमरजेंसी में पहुंचते हैं।वहीं अस्पताल के चिकित्सक बताते हैं कि प्रतिदिन 200 से 300 मरीज अस्पताल में ओपीडी में इलाज हेतु आते हैं।जिसमें दर्जनों मरीजों को एक्सरे भी करवाने को निर्देशित किया जाता है।किंतु रेडियोलॉजिस्ट नहीं रहने के कारण सिर्फ एक्सरे फ़िल्म को देखकर अनुमान से दवाई आदि लिखी जाती है।वहीं हड्डियां टूटी हुई होने की स्थिति में प्राथमिक इलाज के बाद मरीजों को सीधे नवादा सदर अस्पताल अथवा पावापुरी स्थित विम्स अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
अल्ट्रासाउंड एवं ब्लड बैंक की कमी से होती है परेशानी
अस्पताल में शुरुआत से अल्ट्रासाउंड की कोई व्यवस्था नहीं है।वहीं ट्रामा सेंटर घोषित किये जाने के बाद भी अब तक अस्पताल को अल्ट्रासाउंड नहीं मिल सका है।इसके अलावे अस्पताल में ब्लड बैंक भी नहीं है,जिससे जरूरतमंद मरीजों को जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।तिलैया घाटी क्षेत्र से लेकर लालू मोड़ तक प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं घटित होते रहती है।इसमें कई लोगों को अत्यधिक रक्तस्राव हो जाता है और उन्हें त्वरित ब्लड की जरूरत होती है।किंतु अनुमंडलीय अस्पताल में सिर्फ कटे-फटे पर पट्टी आदि बांधकर जल्दीबाजी में उन्हें रेफर किया जाता है।कुछ लोगों का कहना है कि अनुमंडलीय अस्पताल में सिर्फ सर्दी,खांसी,बुखार आदि का ही ठीक-ठाक ढंग से इलाज हो पाता है।वहीं सिर में अधिक चोट रहने के बाद सिटी स्कैन की कोई व्यवस्था अस्पताल में नदारद है।
लाखों रुपये खर्च के बाद बना पीकू वार्ड एवं एनआरसी बन्द
अस्पताल में लाखों रुपये खर्च किये जाने के बाद छोटे बच्चों के लिए पीकू वार्ड की व्यवस्था की गई।जिसमें चिकित्सक एवं जीएनएम की प्रतिनियुक्ति की जानी सुनिश्चित थी।किन्तु कुव्यवस्था के कारण पीकू बन्द पड़ा है एवं अस्पताल में आनेवाले पीड़ित छोटे बच्चों को पीकू में भर्ती न करके सामान्य वार्डो में ही छोड़ दिया जाता है।वहीं जिले के एकमात्र एनआरसी होने के बावजूद कुपोषित बच्चे अस्पताल परिसर नहीं पहुंच पा रहे हैं।ऐसा भी नहीं है कि जिले में कुपोषित बच्चे नहीं है,किन्तु कर्मियों के संवेदनशील नहीं होने के कारण एनआरसी भी कागजों पर संचालित किए जा रहे हैं।
पैथोलॉजी में भी कम जांच से मरीज परेशान
अस्पताल में स्थित पैथोलॉजी में 10 से 11 जांच की सुविधा है।जिसमें हीमोग्लोबिन,सुगर,मलेरिया,टायफायड,डेंगू,ब्लड ग्रुप,पेशाब आदि शामिल हैं।वहीं सोमवार को विभिन्न जगहों से आये लगभग 15 मरीजों ने पैथोलॉजी में जांच करवाया।वहीं इलाज के दौरान चिकित्सकों को कुछ ऐसी जांच की भी आवश्यकता होती है,जो कि अस्पताल में हो पाना सम्भव नहीं है।ऐसी स्थिति में चिकित्सक अपने स्वविवेक का प्रयोग करते हुए जांच हेतु बाजार के पैथोलॉजी से जांच करवाने कहते हैं।जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है।
क्या कहते हैं प्रभारी डीएस-
इस बाबत पर प्रभारी डीएस डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि अस्पताल में उपलब्ध संसाधन का नियमानुकूल प्रयोग कर मरीजों की देखभाल की जाती है।वहीं अस्पताल में चिकित्सक समेत कई अन्य कमियां जिसको लेकर विभागीय पत्राचार भी किया गया है।उन्होंने जल्द ही अनुमंडलीय अस्तपताल में बुनियादी सुविधाएं होने की बात कही है।