संपूर्ण विश्व में भगवान बुद्ध की 25 68 वीं जयंती की धूम _ प्रो विजय कुमार मिट्ठू
मनोज कुमार ।
आज भारत ही नहीं , विश्व के तमाम देशों में बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयंती, धूमधाम से मनाई जा रही है।
गया शहर के चौक स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रतिमा स्थल प्रांगण मे स्थित पीपल के वृक्ष के पास भगवान बुद्ध का महानिर्वाण दिवस, ज्ञान प्राप्ति दिवस, बुद्ध पूर्णिमा उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर, मोमबत्तियां जला कर , उनके उपदेशों का पाठ कर मनाई गई।
इस अवसर पर उपस्थित बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, गया जिला कॉंग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, दामोदर गोस्वामी, प्रद्युम्न दुबे,विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, श्रीकांत शर्मा, राम प्रवेश सिंह, सत्येंद्र सिंह, नंद लाल यादव, राजेश अग्रवाल, उदय शंकर पालित बलिराम शर्मा, विनोद उपाध्याय, बाल्मीकि प्रसाद, श्रवण पासवान, आदि ने कहा कि आज हम गया- बोधगया के लोग अपने को धन्य मानते है एवं गौरवान्वित महसूस करते हैं कि बोधगया की भूमि पर आज ही के दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, आज विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर पीपल का वृक्ष, सुजाता गाढ, ज्येष्ठ वन, कुरी सराय, कौआ डॉल पहाड़, ढूँ गे श व री पर्वत, आदि जगहो को दर्शन करने देश, विदेश से लाखो, लाख की संख्या मे लोग प्रतिवर्ष यहां आते हैं।
आज इस अवसर पर भगवान महात्मा बुद्ध के प्रमुख उपदेशों का पाठ किया _
1. तीन चीज़ ज्यादा देर तक छुपी नहीं रह सकती सूर्य, चंद्रमा और सत्य।
2. अतीत में मत रहो, भविष्य के सपने मत देखो,मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो।
3. स्वास्थ सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे अच्छा रिसता है।
4. हमे हमारे अलावा कोई नहीं बचा सकता।
5. शांति भीतर से आती है, इसे बाहर मत खोजों।
6. मन ही सब कुछ है, आप जो सोचते हैं, वहीं बन जाते हैं।
7. स्वयं पर विजय पाना, दुसरों पर विजय पाने से भी बड़ा कार्य है।
8. क्रोध को पाले रखना,गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने के इरादे से पकडने के समान है, इसमे आप ही जलते हैं ।
9. एक मोमबत्ती से हज़ारों मोमबत्तियां रौशन की जा सकती है, और मोमबत्ती का जीवन छोटा नहीं होगा, खुशिया बांटने से कभी कम नहीं होतीं।10. अंत में, केवल तीन चीज़ मायने रखती है आपने कितना प्यार किया, आपने कितनी विनम्रता से जीवन जिया, और आपने कितनी शालीनता से उन चीजों को छोड़ दिया जो आपके लिए नहीं थी।
सभी उपस्थित लोगों ने इस अमूल्य दस उपदेशों का पाढ़ किया। तथा आज 2568 वीं जयंती पर अभी भी बेला गंज के कुरी सराय, कौआ डॉल पहाड, आदि कई उपेक्षित बौद्ध स्थानों का चहुंमुखी विकास की मांग केंद्र एवं राज्य सरकारों से की है।