भाजपा का दिवास्वप्न शायद ही पूरा हो पायेगा !

संजय वर्मा ।

भाजपा बेचैनी में है तड़प रही है बिहार में सत्तासुख भोगने के लिये 2015 में भी खूब प्रयास कर परिणाम देख चुकी है अपने यशस्वी और चाणक्य की सैंकड़ो सभाएँ सारे आर्थिक संसाधन हथकंडे इस्तेमाल कर चुकी फिर भी औंधे मुंह गिर चुकी खुद को दुनिया की नम्बर 1 पार्टी करने का दावा करनेवाली भाजपा के पास ऐसा कोई थोबड़ा अबतक नहीं पैदा किया जिसको आगे कर वोट मांग सके दरअसल मानसिक दिवालीयापन का शिकार है भाजपा इसलिये खुद को दलबदलुओं के आगे सरेंडर कर दिया जदयू राजद की फैक्ट्री से निकले सम्राट चौधरी को आनन फानन प्रदेश अध्यक्ष बना दिया सम्राट चौधरी बुलेट ट्रेन की तरह हर रोज दूसरे दलों के बिना आधार वाले नेताओं को भाजपा में शामिल कराते जा रहे हैं लव कुश समीकरण बनाने का दावा किया जा रहा बताया जा रहा है कि 2024 में तो लोकसभा की सभी 40 सीट तो जीतेंगे ही 2025 के चुनाव में दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाएंगे भाजपा की इस आशावादिता को पंख लगेगा या नही पर सीधा सपाट बात यह है कि बिहार की जाति आधारित राजनीति में पलड़ा लालू नीतीश की भारी है और नीतीश ने बिजली सड़क स्वास्थ्य शिक्षा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय कार्य किया है बिहारी जनमानस उनके साथ जुड़ा है अभी भी जातीय जनगणना के मामले में भाजपा का ढुलमुल रवैया अपनाने के बाद पिछड़े अतिपिछड़ी दलित जातियों की गोलबंदी महागठबंधन को और मजबूती ही प्रदान कर रही है कह सकते है कि भाजपा का दिवास्वप्न शायद ही पूरा हो पायेगा।