धर्म संस्कृति संगम का “महाकुंभ” अनंत धीश अमन

धीरज ।

गया। भारत के सनातन एवं पुरातन विचार “धर्म संस्कृति संगम” के उद्घोषक सह संस्थापक इंद्रश कुमार के द्वारा मोक्ष एंव ज्ञान भूमि से जो आठ वर्ष पूर्व जो संकल्प लिया गया था वह आज वट वृक्ष के संपूर्ण आकार की और बढ चला है। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आलेंकर की गरिमामई उपस्थिति रही है।
धर्म का जब हम पालन करते है तो संस्कृति विकसित होती है और जब संस्कृति विकसित होती है तो कई अन्य विधाओं में वह सजती और संवरती है और उन संस्कृतियों का समागम हीं संगम है।
मानव न धर्म से परे हो सकता है न हीं विभिन्न धाराओं के संस्कृति से परे हो सकता है क्योंकि मानव जीवन का कर्म हीं धर्म का पालन करना और संस्कृति को अपनाकर अनुसरण कर परिवार समाज राष्ट्र और विश्व का कल्याण करना है।
धर्म संस्कृति संगम जैसे पावन विचार के उद्घोषक इंद्रेश के द्वारा जब भगवान बुद्ध को चीवरदान करने का पावन अनुष्ठान लिया गया था तो कुछ लोगों के साथ यह यात्रा प्रारंभ हुई है। धर्म संस्कृति संगम के विचार गोष्ठी में बौद्ध लामा एंव सनातन परंपरा के वाहक पूज्य संतों के साथ चर्चा कर जनमानस तक आपने, अपने विचारों से यह प्ररेणा देने का अद्भुत काम किया है जिसमें हम विभिन्न संस्कृतियों के प्रवाह में भी पावन रह सकते है बिना किसी राग द्वेष और क्लेश के जो इस वर्ष अपने यौवन काल में दिख रहा है। मानव अपने कृत्यों से मूक पशु पक्षी के साथ जब प्रेम की भावना को स्थापित कर सकता है तो हम सभी अपने मतभेदों को त्याग कर जो मिली-जुली या एक जेसी संस्कृति के साथ क्यों न प्रेम पूर्वक और एक दूजे का सम्मान करते जीवन क्योँ नहीं व्यतीत कर सकते है इस भाव को जिस रुप में सहेज कर जो आम जनमानस के बीच प्रस्तुत किया है वह अतुलनीय है।
धर्म संस्कृति संगम के परिवार सभी सदस्यों ने जिस रुप से इसे संकल्पित किया है वह समाज राष्ट्र और विश्व के लिए प्ररेणा का स्रोत बनेगा और भारत की अनादिकाल से चली आ रही सनतान परंपरा को विकसित एंव फलीभूत करेंगा।