जदयू जिलाध्यक्ष के नेतृत्व मे मनाया गया बाबू वीर कुंवर सिंह का विजयोत्सव

रजनीश कुमार ।

जहानाबाद : भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में लड़ाई लड़ने वाले महान योद्धा, स्वतन्त्रता सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह का विजयोत्सव रविवार को जदयू जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा जी के नेतृत्व में जदयू जिला कार्यालय में उनके मृत्यु के उपरांत विजयोत्सव के रूप में मनाया गया।उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर विजयोत्सव मनाया गया।उपस्थित लोगों ने उनके चित्र पर पुष्पाजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया!इस विजयोत्सव के अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए जदयू के जिला उपाध्यक्ष सह संगठन प्रभारी महेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि 1857 में अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया।

मंगल पांडे की बहादुरी ने सारे देश में विप्लव मचा दिया। बिहार की दानापुर रेजिमेंट, बंगाल के बैरकपुर और रामगढ़ के सिपाहियों ने बगावत कर दी। मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी और दिल्ली में भी आग भड़क उठी। ऐसे हालात में बाबू कुंवर सिंह ने अपने सेनापति मैकु सिंह एवं भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया।27 अप्रैल 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा कर लिया। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा।

जब अंग्रेजी फौज ने आरा पर हमला करने की कोशिश की तो बीबीगंज और बिहिया के जंगलों में घमासान लड़ाई हुई। बहादुर स्वतंत्रता सेनानी जगदीशपुर की ओर बढ़ गए। आरा पर फिर से कब्जा जमाने के बाद अंग्रेजों ने जगदीशपुर पर आक्रमण कर दिया। बाबू कुंवर सिंह और अमर सिंह को जन्म भूमि छोड़नी पड़ी।अमर सिंह अंग्रेजों से छापामार लड़ाई लड़ते रहे और बाबू कुंवर सिंह रामगढ़ के बहादुर सिपाहियों के साथ बांदा, रीवां, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर एवं गोरखपुर में विप्लव के नगाड़े बजाते रहे। ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है। ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय बाबू कुंवर सिंह की उम्र अस्सी के करीब थी। अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।

विजयोत्सव पर सम्बोधित करते हुए जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह 23 अप्रैल 1858 में, जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई लड़ी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भाड़े के सैनिकों को इन्होंने पूरी तरह खदेड़ दिया।उस दिन बुरी तरह घायल होने पर भी इस बहादुर ने जगदीशपुर किले से “यूनियन जैक” नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया। वहाँ से अपने किले में लौटने के बाद इन्होंने वीरगति पाई।

इस अवसर पर प्रदेश सचिव रंगनाथ शर्मा, जिला अभियान प्रभारी कमलेश कुमार वर्मा,जिला प्रवक्ता अमित कुमार पम्मु,नरेंद्र किशोर सिंह,प्रमिला देवी ,प्रखंड अध्यक्ष रणधीर पटेल,नगर अध्यक्ष चंदन कुमार मुरारी यादव,मधेश्वर यादव,गुलाम मुर्तजा अंसारी,पंकज शर्मा,मनीष कुमार,सुमन कुमार,अनिल कुमार सिंह,सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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