जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ,खून के दिनों को मत भूलना हे मित्र, गीत की रचना देशवासियों को झकझोर दिया था – कॉंग्रेस

विश्वनाथ आनंद ।
गया (बिहार)- आज से 106 साल पहले जलियांवाला बाग हत्याकांड, जिसे अमृतसर हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है 13 अप्रैल 1919 को हुआ था। रॉलेट एक्ट और भारतीय स्वतंत्रता समर्थक कार्यकर्ता सैफुद्दीन किचलू और सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में वार्षिक वैशाखी मेले के दौरान, ब्रिटिश भारत के पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में भारी भीड़ जमा हुई थी, भीड़ निहत्थे नौजवान, बच्चे, बूढे, महिलाओं जो शांतिपूर्ण अपने विरोध का इजहार कर रहे थे उन पर ब्रिटिश हुकूमत के कमांडर जनरल डायर के आदेश से गोलियों की बौछार की गई थी , जिसमें लगभग 400 के करीब लोग मारे गए थे तथा 1500 से ज्यादा घायल हो गए थे ।आज गया शहर के कोतवाली थाना के समीप अवस्थित शहीद स्मारक के समीप कॉंग्रेस पार्टी के नेताओ कार्यकर्ताओं ने जलियांवाला बाग त्रासदी की 106 वीं वर्षी पर इस हत्याकांड में मारे गए सैकड़ों लोगों को सलाम एवं नमन कर ” खून के दिनों को मत भूलना हे देशवासियों गीत गा कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।

इस अवसर पर उपस्थित बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, जिला कॉंग्रेस उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, दामोदर गोस्वामी, विपिन बिहारी सिन्हा, युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मोहम्मद समद, मुन्ना मांझी, कॉंग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक टिंकू गिरी, जगदीश प्रसाद यादव, सकल देव चंद्रवंशी , मनोज चंद्रवंशी, सुजीत गुप्ता, गिरेंनद्र कुशवाहा, अरुण पासवान, सुबोध पाल, आदि ने कहा कि जलियांवाला बाग त्रासदी से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह सभी को हिला कर रख दिया था, इस हत्याकांड के प्रतिशोध में जनरल डायर की 1940 में जांबाज भारतीय क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह द्वारा हत्या कर दी गई थी।
नेताओ ने कहा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड में 07 माह के दुधमुंहे बच्चे से लेकर 85 वर्ष के बूढे तक को ज़ालिम ब्रिटिश हुकूमत ने नहीं छोड़ी थी, आज भी जलियांवाला बाग हत्याकांड का नाम सुनते ही 140 करोड़ देशवासियों की रोंगटे खड़ी हो जाती है।