अक्षय नवमी को आंवला वृक्ष के समीप भतुआ दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर हर मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं

-अचल सौभाग्य देने वाला वृक्ष है आंवला.
विश्वनाथ आनंद
गया (बिहार )-अक्षय नवमी को भतुआ (भूरा ) दान का पर्व भी कहा जाता है। इस परंपरा की शुरुआत सतयुग के आरंभ काल माना गया है । इस तिथि को लोग आंवला वृक्ष के नीचे छाया में भतुआ में द्रव्य अथवा कोई रत्न डालकर दान करते हैं, जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न होकर उन लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।अमला के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना गया है इसलिए आंवला के वृक्ष का षोडशोपचार पूजन, एवं तने पर कच्चा मौली को लपेटते हुए, वृक्ष की 108 परिक्रमा करते हैं.जिससे भगवान विष्णु का सानिध्य प्राप्त होता है .

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पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ना या सुनने से महिलाएं सौभाग्यवती होकर खुशी -खुशी स्वर्ग को प्राप्त करती है । ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की छाया में अन्न ग्रहण करने से अनजाने में हुए छोटे बड़े जीव किट पतंग आदि की हत्या का दोष व अन्य तमाम अपराध जन्य दोष समाप्त हो जाते हैं . इसी उद्देश्य को लेकर विष्णु भक्त महिलाएं एवं पुरुष अक्षय नवमी को आवला वृक्ष के समीप पूजा अर्चना करते हुए अन्न ग्रहण करते हैं.

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