तेजस्वी बताएं, शराबबंदी वाले राज्य में शराब कंपनियों से क्यों लिया चन्दा: जद(यू0)

विशाल वैभव ।
पटना 26 अक्तूबर 2024
शनिवार को जनता दल (यू0) प्रदेश कार्यालय, पटना में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सह माननीय विधानपार्षद श्री नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा एवं श्री हिमराज राम ने प्रेसवार्ता को संबोधित कर राजद पर जमकर हमला बोला।प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार को बदनाम करने के लिए नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव से ठीक पूर्व शराब बनाने वाली कम्पनियों से इलेक्ट्राॅल बाॅन्ड के रूप में 46.64 करोड़ रुपये लेने का महापाप किया है। शराबबंदी के विषय में उनका अंनर्गल प्रलाप महज संयोग नहीं बल्कि एक राजनीतिक प्रयोग है।
आगे उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से होने वाली मौत पर राजनीतिक टीका-टिप्पणी करने से पहले नेता प्रतिपक्ष को एनसीआरबी का डाटा जरूर देख लेना चाहिए। राबड़ी देवी शासनकाल (1999-2005) में जहरीली शराब से होने वाली मौत की आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में बिहार का स्थान छठा था। वहीं, नीतीश सरकार में जब शराबबंदी लागू नहीं थी तो बिहार आठवें स्थान पर था लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार तेरहवें स्थान पर आ गया।

छब्त्ठ के आंकड़े के अनुसार –
1 साल 2 साल 3 साल 4 साल 5 साल 6 साल 7 साल त्ंदा
राबड़ी देवी के
7 साल 97 28 30 48 76 100 77 6जी
नीतीश जी के
7 साल 52 68 86 42 25 50 44 8जी
शराबबंदी के
7 साल 6 0 0 9 6 2 134 13जी

उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 से 2005 तक राजद के शासनकाल में जहरीली शराब से कुल 456 लोगों की मौत हुई थी। इस नरसंहार की जिम्मेदारी लालू प्रसाद यादव लेंगे, राबड़ी देवी लेंगी या उनके राजनीतिक वारिस तेजस्वी यादव लेंगे? यह राजद को स्पष्ट करना चाहिय।

1 साल 2 साल 3 साल 4 साल 5 साल 6 साल 7 साल ज्वजंस
राबड़ी के 7 साल 97 28 30 48 76 100 77 456
नीतीश के 7 साल 52 68 86 42 25 50 44 367
शराबबंदी के
7 साल 6 0 0 9 6 2 134 157

प्रवक्ताओं ने कहा कि पड़ोसी राज्य झारखंड में 542 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई और वहाँ की मौजूदा सरकार में राजद भी शामिल है लेकिन इस विषय पर उनकी जुबान खामोश क्यों है? आगे उन्होंने कहा कि अधुरा ज्ञान देना तेजस्वी यादव का राजनीतिक चरित्र रहा है। पढ़ाई से लेकर क्रिकेट तक का उनका सफर अधूरा ही रहा है।
प्रवक्ताओं ने एनएफएचएस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2004 – 05 में बिहार में शराब दुकानों की संख्या 3 हजार थी जबकि शराब से राजस्व की प्राप्ति 295 करोड़ होती थी। वहीं, 2014 – 15 में शराब दुकानों की संख्या 6 हजार हो गई, परंतु राजस्व की प्राप्ति 4 हजार करोड़ रुपये की हुई। साथ ही उन्होंने राजद की तत्कालीन सरकार पर भी राजस्व की हेराफेरी का आरोप लगाया।
प्रवक्ताओं ने कहा कि नीतीश सरकार में श्री नीतीश कुमार के शासनकाल के दौरान शराब के दुकानों की संख्या 3 हजार से बढ़कर 6 हजार जरूर हुई है परन्तुं यह भी सच है कि 2006 से 2015 के बीच बिहार में शरब पीने वाले पुरुषों का अनुपात 34.09 फीसदी से घटकर 28.09 फीसदी हो गया और यह भी सच है कि 1997 से 2005 के बीच राबड़ी देवी के शासनकाल के दौरान बिहार में शराब का सेवन करने वाले पुरुषों का अनुपात 22.04 फीसदी से बढ़कर 34.09 फीसदी हो गई थी। उन्होंने पूछा कि तेजस्वी यादव बताएं कि बिहार को अवल शराबी राज्य बनाने का अपराध करने की जिम्मे्दारी बाप लेंगे – माँ लेंगी या बेटा लेंगे?
शराब पीने वालों का दर:-
1997-98 2004-05 2014-15
शराब पीने वालों का दर 22.4ः 34.9ः 28.9ः

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