महापर्व नवरात्रि के अवसर पर ‘ओजस्विनी’ ने किया ‘मातृशक्ति आराधना एवं डांडिया नृत्य समारोह’ का आयोजन
-जब करती है पालन-पोषण, सीता का धर लेती स्वरूप।
-लड़ती जब बाधा-विघ्नों से दिखती दुर्गा-सम तू अनूप।।
विश्वनाथ आनंद
गया (बिहार )-युवतियों की समृद्धि, सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के हित में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद की महिला शाखा ‘ओजस्विनी’ द्वारा महापर्व नवरात्रि के सुअवसर पर हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी महाअष्टमी एवं महानवमी के दिन ‘मातृशक्ति आराधना एवं डांडिया नृत्य समारोह’ का आयोजन ओजस्विनी की गया जिला अध्यक्ष डॉ (प्रो) रश्मि प्रियदर्शनी के नेतृत्व में किया गया। विष्णुपद मंदिर के निकट अवस्थित पंजाबी भवन में समारोह का शुभारंभ देवी नवदुर्गा के छायाचित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। उसके उपरांत ओजस्विनी एवं अहिप के सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने सम्मिलित रूप से देवी की आराधना व आरती की। शस्त्र पूजन के उपरांत संपूर्ण आयोजन स्थल “अंबे तू है जगदंबे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती” भजन की पावन धुन से गूंज उठा। दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत ओजस्विनी की जिलामंत्री अमीषा भारती, महामंत्री शिल्पा साहनी, नीलम मिश्रा, अर्पणा मिश्रा, बरखा देवी, स्वाति, सोनम मिश्रा, अर्पणा कुमारी, दीपिका शर्मा, श्वेता सिन्हा, रिशिका, शीतल, समर्पिता अचर्जी एवं अन्य ने “ओ शेरो वाली बिगड़े बना दे सबके काम”, “अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती मेदिनि, विश्व विनोदिनी नन्दिनुते, ढोलीरा” जैसे भक्ति भाव से भरे गीतों पर मनमोहक डांडिया नृत्य की प्रस्तुति दी।
ओजस्विनी अध्यक्षा डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने महिलाओं को ईर्ष्या-द्वेष, लोभ, लालच, हीनता एवं अहंकार जैसे नकारात्मक भावों से स्वयं को दूर रखकर धरती पर मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु मनसा वाचा कर्मणा प्रयत्न करते रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने भीतर निहित नवदुर्गा की शक्तियों का स्मरण करके परिवार और समाज के हित में कार्य करने की जरूरत है। उन्हें एक दूसरे का समर्थक एवं सहयोगी होने की आवश्यकता है।
ओजस्विनी अध्यक्षा डॉ रश्मि ने नवरात्रि पर रचित अपनी कविता “हर नारी में है नवदुर्गा” का पाठ करते हुए नारी शक्ति के महत्व को बतलाया। उन्होंने कहा “नारी तू ही दुर्गा, लक्ष्मी, तू ही जग-कल्याणी है। तू ही पार्वती, तू सीता, काली है, ब्रह्माणी है।.. जब करती है पालन-पोषण, सीता का धर लेती स्वरूप। लड़ती जब बाधा-विघ्नों से दिखती दुर्गा-सम तू अनूप। निज परिजन पर बादल समान मंडराने लगते जब संकट। तू काली बन, निर्भय चुनौतियों के समक्ष जाती है डंट। गृहलक्ष्मी तथा अन्नपूर्णा बन, घर को जन्नत कर देती। धन-धान्य तथा सुख-वैभव से, हर कोना-कोना भर देती। तू पार्वती-सी तपस्विनी, अदिति, अनुसूया, अरुंधती। तू राधा, कभी रूक्मिणी-सी आत्मा में प्रेमामृत भरती।। संगीत, कला, साहित्य सभी विद्याओं को धारण करती। तू शिशु की प्रथम पाठशाला, नारी तू ही है सरस्वती।।” मातृशक्ति की प्रतिष्ठा में डॉ. रश्मि ने नवरात्रि पर विचार तथा भावोद्गार प्रकट करते हुए कहा कि “जगत-जननी, समूचे विश्व का आधार होती माँ। तपस्या, प्रेम, ममता, स्नेह का आगार होती माँ। कभी गंगा, कभी यमुना, कभी दिखती कमल जैसी। सुखद सुरलोक-सी, सौंदर्य का भण्डार होती माँ”।मातृशक्ति को समर्पित समारोह के भव्य आयोजन पर ओजस्विनी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रजनी ठुकराल, शशिकांत मिश्र, प्रांत महामंत्री राष्ट्रीय बजरंग दल, सामाजिक कार्यकर्ता मणिलाल बारीक के साथ कार्यक्रम में उपस्थित मुक्तामणि, कार्याध्यक्ष, अहिप, राम बारीक, विभाग महामंत्री, अहिप, महानगर अध्यक्ष रतन गायब, राष्ट्रीय बजरंग दल, मानपुर प्रखंड अध्यक्ष विकास कुमार आदि ने डॉ. रश्मि सहित ओजस्विनी एवं राष्ट्रीय महिला परिषद की सभी बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। ओजस्विनी अध्यक्षा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे सभी सहयोगियों के प्रति आभार जताया।