औरंगाबाद के मठ मंदिरों एवं घरों में महिलाओं ने किया धूमधाम से हरितालिका व्रत
विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद (बिहार)- बिहार के औरंगाबाद में महिलाओं ने मठ मंदिरों एवं घरों में धूमधाम से हरितालिका व्रत किया. इस दौरान महिलाओं ने उपवास रहकर भगवान शिव की आराधना करते हुए पूजा अर्चना की. वहीं दूसरी तरफ महिलाओं ने पति की दीर्घायु ,यशस्वी एवं सुख शांति की कामना करते हुए पूजा अर्चना किया. वही विद्वान पंडितो द्वारा हरितालिका व्रत की कथा सुनी. कथा के दौरान उपस्थित महिलाओं ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान कहा कि कर्म के अनुसार ही फल की प्राप्ति होती है. जो जैसा कर्म करेगा ईश्वर फल भी उसी प्रकार देंगे. उन्होंने कहानी की सारांश बताते हुए कहा कि विपत्ति की स्थिति में धैर्य, साहस एवं शक्ति बरकरार रखने की जरूरत है. वही लाभ लालच की दौड़ से बचने की जरूरत है . औरंगाबाद के साई मंदिर क्लब रोड में महिलाओं ने हर्षोउल्लास के साथ हरितालिका व्रत किया.
वही प्रसाद फूल चढ़ाकर भगवान शिव पार्वती की पूजा अर्चना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त की. महिलाओं ने कहा कि हरितालिका व्रत इसीलिए करती हूं कि आज के दिन ही माता पार्वती ने अपनी तपस्या के बल पर भगवान शिव का आराधना करते हुए प्रसन्न की थी. और शादी रचाई थी. इसी खुशी के वजह से महिलाओं ने हरितालिका व्रत करती है. क्योंकि माता पार्वती ने अपने माता-पिता के कहे बिना जंगल में चली गई थी और भगवान शिव की आराधना मे लीन हो गई . भगवान शिव ने माता पार्वती की आराधना स्वीकार की. तब माता पार्वती ने अपने माता-पिता की खबरें सहेलियों के द्वारा दी . उसी दिन से इस व्रत का नाम हरितालिका व्रत रखा गया. क्योंकि माता पार्वती ने अपने माता-पिता के कहे बिना जंगल चली गई थी उनके माता-पिता के मन में विचार आया कि मेरी पुत्री पार्वती को किसी ने अपहरण कर लिया हो या जंगल का पशु ने मार डाला हो. आखिर मेरी पुत्री पार्वती गई तो कहां गई. काफी लोग परेशान थे. माता पार्वती की सहेलियों ने उनके माता-पिता की खबरें दी . उसी दिन से यह व्रत का नाम हरितालिका व्रत पड़ा. यह व्रत करने से महिलाओं को मनोवांछित फल प्राप्त होता है. यही कारण है कि महिलाएं धूमधाम से हरितालिका व्रत करती है.