बिहार को स्पेशल पैकेज की जगह बजट से कई गुना ज्यादा लाभ मिलेगा।इस इलाके में – जितन राम मांझी

धीरज गुप्ता ।

उनके याद में उधोग की स्थापना के साथ भारत रत्न देने की मांग की है- सांसद एवं गुरुआ विधायक

गया। मोहडा के गेहलौर में दशरथ मांझी के 17वा महोत्सव का उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी एव बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के साथ साथ औरंगाबाद सांसद अभय कुशवाहा, विधायक बाराचट्टी, विधायक गुरुआ, ज़िला परिषद अध्यक्ष, ज़िला पदाधिकारी गया, वरीय पुलिस अधीक्षक द्वारा संयुक्त ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया है।
इस कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत ज़िला पदाधिकारी गया द्वारा पुष्प गुच्छ एव प्रतीक चिन्ह देकर सभी का स्वागत किया है। इसके साथ ही डीएम ने दशरथ मांझी में पौत्र भगीरथ मांझी को पुष्प गुच्छ एव केंद्रीय मंत्री में शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया है। दशरथ मांझी महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर ज़िला पदाधिकारी गया ने स्वागत भाषण से संबोधित करते हुए कहा कि आज दशरथ मांझी के 17वीं पुण्यतिथि के अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार तथा जिला प्रशासन, गया द्वारा आयोजित दशरथ मांझी महोत्सव में उपस्थित कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता एवं मुख्य अतिथि मंत्री, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, भारतसरकार-सह-सांसद, गया जीतन राम मांझी , गरिममायी उपस्थिति उप मुख्यमंत्री-सह-मंत्री, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार विजय कुमार सिन्हा , मंत्री, सहकारिता तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार , सभा में सांसदगण, विधायकगण, वरीय पुलिस अधीक्षक, जिले के गणमान्य व्यक्ति, माताओं, भाईयों, बहनों एवं मीडिया के प्रतिनिधि को इस महोत्सव में शामिल होने के लिए आप सबों का हार्दिक स्वागत किया है। बिहार एवं देश को गौरवान्वित करने वाले बाबा दशरथ मांझी के सम्मान में आयोजित इस महोत्सव में मैं सर्वप्रथम गेहलौर की धरती का नमन करता हूँ, जिसने ऐसे जीवंत पुत्र को जन्म दिया है। यहाँ के वादियों में आज भी दशरथ मांझी की छेनी और हथौड़ी की आवाज़ की गुंज मौजूद है।

22 वर्षों के कठोर परिश्रम, लगन के बल पर उन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर सुगम्य मार्ग बना दिया है। यह कार्य उन्होंने अपनी पत्नी की असहाय पीड़ा का एहसास कर किया था।आज उनकी कृति वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। उनकी कृति ने अपने यश का डंका न सिर्फ भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में बजा रखा है। आज बॉलीवुड, हॉलीवुड के बड़े-बड़े निर्माताओं ने उनपर कई फिल्में बनायी, जो अत्यंत लोकप्रिय है। बिहार सरकार भी धन्यवाद के पात्र है। जिसने ऐसे कर्मठ एवं एकल पुरूष को सम्मानित किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री, बिहार नीतीश कुमार उनसे इतने प्रभावित हुए की अपना आसन पर उन्हें बिठा दिया है। हमें उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। साथ ही ऐसे लोगों को सम्मान प्रदान करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गेहलौर में प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, अस्पताल, थाना सहित कई सरकारी भवनों का निर्माण करवाया गया है। इसके साथ ही पंचायत सरकार भवन, ओ०पी०, किसान सरकार भवन तथा पर्यटक को बढ़ावा देने के लिए समाधि स्थल का विकास एवं सौन्दर्याकरण, जन सुविधा, पेयजल, शौचालय, पाथ वे, स्वागत द्वार का अधिष्ठापन कार्य किया गया है। इनके स्मृति में स्मृति भवन का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही उनके सम्मान में समाधि स्थल पर उनकी प्रतिमा स्थापित करवायी गयी है। भीषण गर्मी में यहां पेयजल की अत्यंत समस्या रहती थी।इस क्षेत्र में विशेष रूप से पेयजल की समस्या को समाप्त करवाया गया है। इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा की बिहार को स्पेशल पैकेज की जगह बजट में ऐसे प्रावधान किए गए हैं। इससे कई गुना ज्यादा लाभ मिलेगा। बिहार को लगभग पांच लाख करोड़ फायदा होने की पूरी उम्मीद है। प्रधानमंत्री ने गया में विष्णुपद और बोधगया में कॉरिडोर को मंजूरी दी है, इसके अलावा राजगीर और वाणावर को भी इसमें जोड़ने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रयासरत हैं।गया के आसपास से अमृतसर से कोलकाता आद्योगिक कॉरिडोर तथा एक अन्य कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है जिससे गया, नोएडा के रूप में विकसित होगा और यहां के लोगों को रोजगार के लिए भटकना नहीं होगा। भविष्य में गया ज़िला में रोजगार की अपार संभावनाएं बन रही है। बिहार या विशेषकर गया ज़िला के युवाओं को अब नोयडा जाने की जरूरत नही, वह गया में ही अपना रोजगार कर सकेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री को ध्यानवाद दिया है कि भगीरथ प्रयास रहा कि गया जैसे सुखाड़ वाले इलाके को हर घर गंगाजल प्रोजेक्ट लाकर लोगो को पेयजल की समस्या को समाप्त किया है। उन्होंने बताया कि मुझे सुक्ष्म लघु मध्यम और उद्योग विभाग मिला है इसमें से 70%आबादी आच्छादित है। देश में 24000 बडे उद्योग है.वही सुक्ष्म लघु मध्यम उधोग 6करोड है। उन्होंने आए लोगों को आश्वासन दिया कि दस एकड़ जमीन में टेक्नोलॉजी सेंटर के निर्माण के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने जिलाधिकारी गया को जमीन भी खोजने की अपील की है। पत्थर उधोग ,लकड़ी उधोग,कपड़ा उधोग के लिए क्लस्टर नहीं है। क्लस्टर स्वीकृति मिलने के बाद हजारों करोड़ का फायदा होगा।उन्होंने गया में उधोग का जाल बिछाने का वायदा महोत्सव में पहुंचे लोगों से किया है। उप मुख्यमंत्री बिहार विजय कुमार सिन्हा ने महोत्सव में संबोधित करते हुए कहा कि दशरथ मांझी ने कर्म और श्रम से पहचान बनाकर बसुधैव कुटुमवक की परम्परा को जीवित रखा है।दुसरे के लिए अपनी जिंदगी न्योछावर कर आने वाले पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं।आदमी संकल्प लेकर तस्वीर के साथ तकदीर भी बदलता है और इसके उदाहरण दशरथ मांझी हैं जो अभाव के वावाजूद प्रभाव को साबित किया है.परिवारवाद के पर पर चलकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।अधिकार के साथ कर्तव्य वोध के साथ सभी को साथ लेकर विकास की नींव मुख्यमंत्री नीतीश और भारत के प्रधानमंत्री मजबूत कर रहे हैं.बिहार में उधोग धंधा को समेटने में मजबूर करनेवाले कौन है।पक्ष और विपक्ष एकजूट हो तो राज्य आगे बढ़ेगा.
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री डॉ० प्रेम कुमार ने कहा कि *माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध,पक्का इरादा वाले,एंग्री यंग मैन,दृढ़ संकल्प,धुन के पक्के,जुल्म के खिलाफ विद्रोह करने वाले दशरथ मांझी का जन्म 14 जनवरी 1929 को गहलोर गांव,गया में एक दलित परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण उनकी बहुत ज्यादा पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाई है।
दशरथ मांझी के पिता ने जमींदार से कर्ज लिया था जिसे नहीं लौटाने के कारण इनके पिता ने जमींदार के यहां इनको बंधक,बंधुआ मजदूर रख दिया। विद्रोही स्वभाव के होने के कारण इनको जमींदार की गुलामी पसंद नहीं आई और भाग कर धनबाद चले गए। वहीं कोयला खदान में काम करने लगे। 1955 में 7 वर्षों के बाद पुनः अपने गांव लौटे। वही एक लड़की से इन्हें प्रेम हुआ और 1960 में उससे शादी की। पत्नी को पानी लाने के लिए पहाड़ के उस पार जाना पड़ता था। वही अतरी और वजीरगंज ब्लॉक की दूरी पहाड़ के कारण 55 किलोमीटर होती थी। उसे पार करने के लिए लोगों को काफी कठिनाई होती थी।एक दिन पहाड़ी पार करते हुए उनकी पत्नी के गिरने से घायल हुई। बाद में बच्चे जन्म देने के क्रम में उनकी मृत्यु हो गई। इन्हीं घटनाओं ने उन्हें पहाड़ का सीना चीरने के लिए प्रेरित किया। केवल एक हथोड़ा और छेनी से अकेले ही 360 फीट लंबा,30 फुट चौड़ा और 25 फीट ऊंचा पहाड़ को काटकर एक सड़क बना डाला।उन्हें सड़क बनाने के लिए 22 वर्षों तक अथक,अनवरत परिश्रम करना पड़ा,तब जाकर के अतरी और वजीरगंज की दूरी 55 किलोमीटर से घटकर 15 किलोमीटर हो गई। लोगों को पानी ले जाने_आने में भी सुविधा होने लगी। इन्होंने जब पहाड़ तोड़ना शुरू किया तो लोग ईन्हें पागल कहा करते थे। धुन के पक्के,उनके जिद के आगे पहाड़ भी बौना पड़ गया और छेनी हथौड़े ने पहाड़ के बीच रास्ता बना डाला। एक बार इंदिरा गांधी गया में आई थी। तब उनका मंच टूट गया था,तो मंच को संभाले दशरथ मांझी और उनके साथियों ने रखा।इसी कारण इंदिरा गांधी का कार्यक्रम हो पाया। इसके बाद इंदिरा गांधी जी उनके साथ फोटो खींची और मदद की बात कही।वहां के जमींदारों ने उनसे अंगूठा लगाकर मदद के नाम पर 25 लाख रुपए उनसे ठग लिया।