सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखणा है जोर कितना बाजुओं कातिल में है सुनते रोंगटे खड़े हो जाते हैं

मनोज कुमार ।
महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिवीर योद्धा, कवि, लेखक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 127 वीं जयंती गया के अनुग्रह नारायण रोड स्थित दुबे आश्रम में मनाई गई।सर्वप्रथम पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात्‌ उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।जयंती कार्यक्रम को बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, जिला कॉंग्रेस उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, दामोदर गोस्वामी, प्रद्युम्न दुबे, शिव कुमार चौरसिया, अमर चंदवंशी, राहुल चंद्रवंशी, श्रवण पासवान, उदय शंकर पालित, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मोहम्मद शमीम आलम, मोहम्मद समद, रूपेश चौधरी, उज्ज्वल कुमार, बलिराम शर्मा, विनोद उपाध्याय, बाल्मीकि प्रसाद, आदि ने कहा कि बचपन से ही भारत माता को फिरंगियों से आजाद कराने की ज़ज्बा लिए पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने मैनपुरी षड्यंत्र और काकोरी षड्यंत्र जैसे कांड कर अँग्रेजी हुकूमत की चूल हिला देने का काम अपने दर्जनों क्रांतिकारी साथियों के साथ किया था।नेताओं ने कहा कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने मातृ वेदी नामक एक संगठन भी बनाया था तथा बिस्मिल ने देशवासियों के नाम संदेश शीर्षक से एक पुस्तिका प्रकाशित की, जिसे उन्होंने अपनी कविता मैनपुरी की प्रतिज्ञा के साथ वितरित किया।
नेताओं ने कहा कि 19 दिसंबर 1983 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने काकोरी में एक यादगार स्मारक बनवाने का काम किया तथा शाहजहांपुर से 11 किलोमीटर आगे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल रेल्वे स्टेशन का निर्माण कराया गया तथा इनके नाम पर 1997 में डाक टिकट भी जारी किया गया है।नेताओं ने कहा कि आज भी जब पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की युक्ति ” सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखणा है जोर कितना बाजुओं कातिल में है ” बोलते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

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