सांसद रविशंकर प्रसाद को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये नाको चने चबाना पड़ रहा

संजय वर्मा ।

पटनासाहिब लोकसभा क्षेत्र में अपनी हर बात विनम्रतापूर्वक करने के आदि हो चुके सांसद रविशंकर प्रसाद को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये नाको चने चबाना पड़ रहा जब महागठबंधन से कांग्रेस से अंशुल अभिजीत कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया गया तो उनकी बांछे खिल गई और कहा कि 4 लाख वोट से जीतूंगा रविशंकर को टिकट मिलने के बाद चौतरफा विरोध जितना हो रहा किसी अन्य क्षेत्र में किसी सांसद का नही हुआ होगा काला झंडा विरोध प्रदर्शन घेराबंदी से लेकर उनको खदेड़ा खडेडी का सामना करना पड़ रहा उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में क्या किया सांसद सांसद निधि का उपयोग कहाँ किया क्षेत्र में कौन सा विकास किया वो इसका जवाब भी नही दे पा रहे। इनसब के बीच टिकट मिलने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल अभिजीत ने जो चुनाव प्रचार का सिलसिला शुरू किया ।

वो ऐसा परबान चढ़ा कि रविशंकर को पसीना चुने लगा अंशुल को राजद कांग्रेस कम्युनिस्ट भाकपा माले के समर्थन के कारण मजबूती मिलती जा रही यादव मुस्लिम दलित अतिपिछड़ी जातियों के साथ कोयरी के समर्थन मिलने के कारण वो निर्णायक बढ़त कायम करते जा रहे रविशंकर पर अंशुल हर उन गाँव मुहल्ले कस्वे टोले में जनसम्पर्क कर लोगों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुन समझ रहे और उन्हें वोट देने की अपील कर रहे है वैसे भी वोटरों के बीच गरीबी महंगाई भुखमरी महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बना है रविशंकर की घबराहट इसी से समझी जा सकती है प्रधानमंत्री मोदी ने पटना में रोड शो किया तो गृहमंत्री अमित शाह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मध्यप्रदेश सीएम मोहन यादव यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बगैरह की सभाएं करनी पड़ रही तो बिदके वैश्यों को मनाने के लिये वैश्य नेताओं का सहारा लेना पड़ रहा यह प्रचलित रहा कि पटनासाहिब कायस्थ बाहुल्य सीट है और भाजपा की बपौती इस चुनाव में यह मिथक टूट भी सकता है कुल मिलाकर कह सकते है चुनावी परिणाम जो हो पर रविशंकर प्रसाद पर अंशुल अभिजीत भारी पड़ गए हैं।

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