अनजबित सिंह महाविद्यालय का एस एस आर हुआ अपलोड

चंद्रमोहन चौधरी ।

बिक्रमगंज अनुमंडल की एकमात्र अंगीभूत इकाई अनजबित सिंह महाविद्यालय, बिक्रमगंज ने शैक्षणिक गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरने हेतु एक बड़ी परीक्षा के लिए कदम आगे बढाया है। आईआईक्यूए स्वीकृत होने के बाद निर्धारित अवधि में आज एस.एस.आर सबमिट कर महाविद्यालय ने कीर्तमान स्थापित किया है। शिक्षा जगत के जानकार इसे महाविद्यालय की बड़ी उपलब्धि बताते है। एस. एस. आर सबमिट करने से पूर्व, प्राचार्य डॉ सुधांशु शेखर भाष्करम की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गयी। प्राचार्य ने सभी कर्मियों का उत्साहवर्धन करते हुए आज के दिन को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि आज एक तरफ नैक कार्य की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। वहीं एक बड़ी उपलब्धि आई.क्यू.ए.सी समन्वयक डॉ अखलाख अहमद द्वारा लिखित पुस्तक ”सामाजिक विज्ञान में शोध प्रविधियाँ” का विमोचन हो रहा है। उन्होंने इसे महाविद्यालय की दुहरी उपलब्धि बताया। आई.क्यू.ए.सी समन्वयक डॉ अखलाख अहमद ने प्राचार्य की दूरदर्शी सोच एवं महाविद्यालय के प्रति उनके समर्पण के सकारत्मक परिणाम के रूप में नैक की प्रक्रिया आगे बढ़ने की बात कही है । डॉ अहमद ने एस.एस .आर के बाद की प्रक्रिया डी.वी.वी एवं एस एस एस को विस्तार से बताया। कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रभात कुमार ने किया। अंतिम औपचारिकता धन्यवाद ज्ञापन के रूप में डॉ रमेश कुमार, विभागाध्यक्ष भौतिकी ने किया। इस अवसर पर डॉ संतोष कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान डॉ संतोष कुमार, विभागाध्यक्ष गणित डॉ अनिल कुमार, विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र डॉ कन्हैया सिंह, विभागाध्यक्ष इतिहास डॉ.मो. परवेज़ अहमद, विभागाध्यक्ष उर्दू डॉ .सुफिया परवीन , विभागाध्यक्ष हिंदी चंद्रशेखर के साथ-साथ महाविद्यालय के सभी अतिथि एवं गैर शैक्षणिक कर्मी उपस्थित थे।


क्या होता है नैक ——-
नैक अर्थात राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्याङ्कन परिषद द्वारा देशभर में शैक्षणिक गुणवत्ता की जाँच विभिन्न अद्दत्तन विन्दुओं पर की जाती है। इसके द्वारा भौतिक संसाधन के साथ-साथ शैक्षणिक एवं छात्रों के अन्य सुविधाओं की गहन जाँच की जाती है।यथा – पुस्तकालय, शिक्षा गुणवत्ता, रैंगिंग, छार्त्रों की समस्याओं के समाधान हेतु तंत्र, छात्रों को मिलने वाली आधारभूत सुविधाएँ जैसे शौचालय, महिलाओं के लिए सेक्सुअल हराश्मेंट की स्थिति में त्वरित निदान, छात्रों के लिए शुद्ध पेय जल तथा दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था को देखा जाता है। नैक की प्रक्रिया में सबसे पहले आईआईक्यूए समर्पित किया जाता है। स्वीकृति के 45 दिन के अन्दर एस.एस. आर अपलोड करना होता है। यह मूल्यांकन का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। इसके बाद डीवीवी की प्रक्रिया एवं एसएसएस की प्रक्रिया संचालित होती है। तत्पश्चात पीयर टीम आती है एवं अंत में ग्रेडिंग होता है। उल्लेखनीय है की 68% अंक ऑनलाइन ही मूल्यांकन के एस.एस आर के आधार पर डीवीवी प्रक्रिया संपन्न कर किया जाता है। जबकि 32% अंक पीयर टीम द्वारा भौतिक निरिक्षण कर दिया जाता है। एकरिडीटेसन से राष्ट्रीय स्तर पर लाभ के साथ-साथ विदेशों खासकर यूरोप के कुछ देशों में वैसे भारतीय छात्र जो नैक एकरिडीटेड संस्थान से उतीर्ण है, उन्हें एक परीक्षा कम देनी पड़ती है। स्पष्ट है नैक की मान्यता का लाभ राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त है।

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