मनरेगा में लूट की मिली छूट,जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है भ्रष्टाचार

संतोष कुमार ।

प्रखंड क्षेत्र में पंचायत चुनाव के तहत निर्वाचित मुखिया एवं पीआरएस पर अपने पद का दुरुपयोग कर सरकार को लाखों का चूना लगाने का आरोप लगा है। आरोप है कि मुखिया एवं पंचायत रोजगार सेवक ने मनरेगा में फर्जी जॉब कार्ड बनाकर सरकारी राशि का गबन खुलेआम किया जा रहा हैं। मामला रजौली प्रखंड के फर्काबुजुर्ग पंचायत का बताया जाता है। शिकायतकर्ता फर्काबुजुर्ग पंचायत के मांगोडी गंगटिया गांव निवासी स्वर्गीय बेदू यादव के पुत्र अमीरक यादव ने बताया है कि पंचायत के मुखिया उमा देवी एवं रोजगार सेवक प्रभात कुमार के द्वारा एक ही योजना का नाम बदलकर सरकारी राशि का बंदरबांट धड़ल्ले से किया जा रहा है। 2021 से लेकर 2024 तक कराये गये सभी मनरेगा योजनाओं का जांच पड़ताल होने पर करोड़ों की सरकारी राशि का गबन किए जाने का खुलासा हो सकता है। इसके लिए सरकार एवं जिम्मेदार अधिकारी अगर निष्पक्ष जांच करते हैं तो मनरेगा में भारी लूट-खसोट की कलई परत दर परत खुल सकती है।

शिकायतकर्ता ने कहा कि फर्काबुजुर्ग पंचायत के धामूचक, मोहकामा, हाथोंचक, चमारबीगहा, पहवाचक आदि गांवों में मनरेगा योजना के तहत पइन, आहार, तालाब एवं विद्यालय में मिट्टी भरने का कार्य धरातल नहीं किया गया है।इन सभी योजनाओं में एक भी मिट्टी का कार्य नहीं किया गया।इसके बावजूद उक्त बिचौलियों के द्वारा कार्य पूर्ण दिखा कर राशि निकासी कर लिया गया है। कार्य करने के नाम एक भी मजदूर के खाते में पैसा ना जाकर बिचौलिए के खाते में डालकर आपस में सभी पदाधिकारी एवं मुखिया बंदर बांट कर लिए हैं।इससे साफ पता चलता है कि सरकारी राशि का दुरुपयोग खुलेआम किया जा रहा है। उन्होंने मनरेगा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी के साथ जिलापदाधिकारी, जिला उप विकास आयुक्त, ग्रामीण विकास मंत्री एवं मुख्यमंत्री से जांच कर उचित कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।अमीरक यादव ने शिकायत की एक – एक प्रति उक्त सभी पदाधिकारी एवं मंत्री को भेजा है।शिकायत कर्ता ने कहा कि सरकार एक तरफ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने निति पर बात कर रही है। वहीं दूसरी तरफ रजौली प्रखंड एवं मनरेगा में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारियों के चलते केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना जमीनी धरातल पर उतरने से पहले ही भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ रही है। गांव के मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कर मजदूरों को दूसरे प्रदेश में पलायन से रोकने के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना जिम्मेदारों के चलते भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ कर रह गई है। मुखिया, पंचायत रोजगार सेवक एवं पीटीए द्वारा इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिसकी जानकारी मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी को भी होती है। लेकिन उनके द्वारा चुप्पी साधे रखने से लोगों में उनकी संलिप्तता की भी चर्चे हो रहे हैं।

प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा योजना में जमकर हो रहा भ्रष्टाचार

प्रखंड के पंद्रह पंचायतों के गांवों में मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। अगर जब इसकी जमीन स्तर पर पड़ताल की जाती है तो मनरेगा योजना में हो रही भ्रष्टाचार की कलई परत दर परत खुलकर सामने आने लगेगी। जो गांव में कभी कार्य स्थल पर नहीं जाते हैं,वहां उनके नाम से कार्य करते हुए आनलाइन मास्टरोल में हाजिरी लगा दी जाती है।ग्राम पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक द्वारा बिना कार्य स्थल पर गए एमबी बुक कर दे रहे हैं, इसके अलावा फर्जी मजदूरों के खाते में पैसे भेज कर निकलवा लिया जाता है। जिसमें दो चार सौ रुपए उन मजदूरों को पैसे दे दिए जाते है, जिनको मनरेगा मजदूर बनाया गया और वो कभी कार्य स्थल पर नहीं जाते हैं।

कागजी आंकड़ों में कार्य समाप्ति और पेमेंट

सबसे बड़ी बात हैं कि मनरेगा योजना से हो रहें कार्यों में कहीं भी कार्य स्थल कार्य शुरू होने और समाप्ति तक शीलापट नहीं लगता।शीलापट तब लगाया जाता जब उस परियोजना का कागजी आंकड़ों में काम होकर पेमेंट हो जाता है। ताकि ग्रामीणों को इसकी जानकारी न होने पाएं की इस जगह पर किस विभाग से मिट्टी का कार्य हो रहा और कितने मजदूर काम कर रहें हैं। और कितने मजदूरों का फर्जी हाजिरी लगाकर पेमेंट कराया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ी समस्या उन मजदूरों को हो रही जो वास्तविक मजदूर हैं और उनको रोजगार नहीं मिल पा रहा है। इस समय मनरेगा योजना में सरकारी राशि का बंदरबाट खूब हो रहा है।

क्या कहते हैं प्रखंड प्रोग्राम पदाधिकारी

मरेगा पीओ नीरज त्रिवेदी ने बताया कि अमीरक यादव के द्वारा आवेदन दिया गया है।मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। इसके लिए संबंधित लोगों को स्पष्टीकरण किया गया। साथ हीं वहां किए गए कार्यों की रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देशित किया गया है।इन मामलों के तथ्यों की जांच पड़ताल के बाद विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

You may have missed