41 लाख लक्षित लाभार्थियों को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य

MANOJ KUMAR.

सीफार के सहयोग से सीएस कक्ष में मीडिया कार्यशाला का आयोजन

गया, 08 फरवरी: हाथीपांव एक गंभीर बीमारी है. यह क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से होता है. मच्छर के माध्यम से शरीर में फाइलेरिया परजीवी प्रवेश कर जाते हैं. फाइलेरिया का असर पांच से दस साल बाद दिख सकता है. फाइलेरिया का असर पैर के अलावा हाथ में भी होता है. फाइलेरिया की वजह से महिलाओं में स्तन का सूज जाना तथा पुरुषों में हाइड्रोसील का होता है. फाइलेरिया हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है. फाइलेरिया को दवा सेवन से रोका जाता है. यानि फाइलेरियारोधी का दवा सेवन करने से माइक्रोफाइलेरिया के परजीवी मर जाते हैं और हम इससे सुरक्षित रहते हैं. साल में एक बार अभियान चला कर दवा का सेवन कराया जाता है. 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जायेगा. इस अभियान में लक्षित योग्य लाभार्थियों को फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराया जायेगा. इस अभियान का उद्देश्य दवा सेवन करा कर लोगों को फाइलेरिया से बचाना है. इस वर्ष एमडीए अभियान के दौरान 41 लाख चार हजार 27 लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है. यह बातें ​सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह ने फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सीफार द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही. मीडिया कार्यशाला के दौरान डीवीबीडीसीओ डॉ एमई हक, अस्पताल उपाधीक्षक डॉ चंद्रशेखर, यूनिसेफ से संजय कुमार सहित सीफार डीसी जुलेखा फातिमा, पीसीआई से अमित कुमार तथा पीरामल से चंदन मिश्रा, बीसीएम डॉ संजय अंबष्ट सहित रक्षा तथा सूर्या फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रूप के फाइलेरिया पेशेंट भी मौजूद रहे.

डॉ एमई हक ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवाओं में अल्बेंडाजोल, डीईसी के साथ आइवरमेक्टिन शामिल किया गया है. सभी लोगों से अपील किया कि वे स्वास्थ्यकर्मियों, आशा तथा आंगनबाड़ी सेविकाओं के सामने ही दवा का सेवन करें. दवा सेवन से किसी प्रकार का नुकसान नहीं है. फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जा सके इसके लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी के समीप एक बूथ लगाया जायेगा. यहां पर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराने के लिए चिकित्सक व नर्सिंग स्टॉफ मौजूद रहेंगे. फाइलेरियारोधी दवा सेवन से शरीर में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया नष्ट होता है. आमतौर पर फाइलेरिया रोधी दवा खाने के बाद किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन वैैसे लोग जिनके अंदर फाइलेरिया के जीवित परजीवी होते हैं, दवा खाने के बाद कुछ प्रतिक्रियाएं जैसे बुखार, सिरदर्द, चक्कर आदि देखा जाता है. दवा सेवन के उपरांत फाइलेरिया परजीवियों के मरने के कारण ये प्रतिक्रिया होती है. इसे एडवर्स ड्रग रिएक्शन या एडीआर कहा जाता है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में इसकी सूचना आशा, एएनएम या अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को दें.

इन प्रखंडों में दवा सेवन के लिए लक्षित लोग:

अतरी — 100207
आमस — 127885
बेलागंज — 270320
बोधगया — 287660
फतेहपुर — 286891
गुरारू — 169714
गुरुआ — 22395
इमामगंज — 234776
खिजरसराय — 214364
कोंच — 245867
मोहरा — 122763
नीमचक बथानी — 120063
परैया — 124162
सदर प्रखंड — 787762
टिकारी — 317209
वजीरगंज — 269989

शहरी प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत लक्षित लोग:
रामसागर — 70000
इकबालनगर — 80000
आंबेडकरनगर — 50000

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