शिक्षकों की मौलिक अधिकारों पर ही हमला नहीं बल्कि यह बिहार में लोकतंत्र की हत्या का घिनौना प्रयास है- प्रेमचंद कुमार सिन्हा

विश्वनाथ आनंद ।
औरंगाबाद (बिहार):-बिहार के शिक्षक संगठनों पर प्रतिबंध लगाना सिर्फ शिक्षकों की मौलिक अधिकारों पर ही हमला नहीं है बल्कि यह बिहार में लोकतंत्र की हत्या का घिनौना प्रयास है !”– बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ(गोप गुट) के राज्य महासचिव प्रेमचंद कुमार सिन्हा ने आज यहां दानी बिगहा बस स्टैंड के पास महासंघ द्वारा आयोजित शिक्षकों एवं कर्मचारियों के जिला स्तरीय कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कही । आज सुबह पटना से चलकर औरंगाबाद पहुंचें महासचिव महोदय ने कहा कि के के पाठक जैसे अनेकों पदाधिकारी आए और गए । ये भी एक दिन चले जायेंगे लेकिन बिहार के शिक्षक कर्मचारियों ने हर तानाशाही रुझान वाले सरकारों से पंजा लड़ाया है और अपने अधिकारों को हासिल किया है । उन्होंने कहा कि पेंशन हमारा अधिकार है और इसे हर हाल में हासिल कर के रहेंगे और 10 दिसंबर को पटना मे होने वाले पेंशन मानवाधिकार महारैली मे अधिक – से -अधिक संख्या में भाग लेने के लिए अपील किया ।

इस कन्वेंशन को संबोधित करते हुए NMOPS के जिला संयोजक हेमंत कुमार हिमांशु ने कहा कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक संगठनों पर प्रतिबंध लगाना एक तानाशाही भरा कदम है जिसकी हम कड़ी शब्दों में निन्दा करते हैं । उन्होंने सिंचाई विभाग के मौसमी कर्मचारियों की सेवा के नियमितीकरण की मांग करते हुए कहा कि NPS एक नो पेंशन स्कीम है जिसे हमारा संगठन बिल्कुल स्वीकार नहीं करता तथा पुरानी पेंशन की मांग को हर हाल में हासिल कर के रहेगा ।
आज के इस कन्वेंशन को शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष- संजय कुमार सिंह,जिला सचिव – अवधेश कुमार,कोषाध्यक्ष- प्रह्लाद प्रसाद, राज्य संघर्ष कोष पर्षद के सचिव एवं किसान सलाहकार संघ के राज्य नेता सुशील कुमार चतुर्वेदी, AISA के जिला नेता योगेन्द्र राम,शिक्षक संघ के सम्मानित अध्यक्ष- कृष्णा प्रसाद चंद्रवंशी,उपाध्यक्ष महफूज आरिफ,मौसमी कर्मचारी संघ के औरंगाबाद जोन के सचिव- अर्जुन प्रसाद सिंह, अध्यक्ष- देवगीर यादव,कोषाध्यक्ष – देवपूजन यादव,उपाध्यक्ष अजय कुमार,राज्याध्यक्ष-जयराम सिंह,रामजन्म यादव,सिंचाई विभाग कर्मचारी यूनियन के जिला अध्यक्ष- मनीष कुमार सिंह,सिंचाई प्रमंडल दाउदनगर के सचिव अरविंद कुमार सिंह,अध्यक्ष रविन्द्र कुमार,कोषाध्यक्ष रविशंकर कुमार,इत्यादि सैकड़ों राज्यकर्मियों एवं शिक्षकों ने एक स्वर से कहा कि बिहार के शिक्षक-कर्मचारी अफसरशाही और तानाशाही से डरेंगे नहीं बल्कि महासंघ के नेतृत्व में डटकर संघर्ष करेंगे तथा अपने अधिकारों को हासिल करेंगे। इसके लिए उक्त सारे लोगों ने आगामी 10 दिसंबर 2023 को पटना में आयोजित कर्मचारियों एवं शिक्षकों की राज्य स्तरीय ‘महारैली’ में औरंगाबाद जिला से हजारों की संख्या में कर्मचारी शिक्षकों को पटना चलने का आह्वान किया । कन्वेंशन में मुख्यरूप से पांच प्रमुख मांगें सूत्रबद्ध की गईं :-(1)शिक्षकों के मौलिक अधिकारों पर हमला करना बंद करो तथा उनके संघों के ऊपर लगाए गए प्रतिबंध का आदेश वापस लो । (2) NPS खत्म कर पुरानी पेंशन लागू करो (3)सिंचाई विभाग के मौसमी कर्मियों की सेवा नियमित करो (04) शिक्षकों-कर्मचारियों पर संघीय गतिविधियों में भाग लेने के कारण किए गए स्पष्टीकरण,निलंबन,इत्यादि दमनात्मक कार्रवाइयों को अविलंब वापस लो ! (5) जिले के राज्यकर्मियों,शिक्षकों के हितों से संबंधित MACP,प्रोन्नति,इत्यादि से संबंधित नियमों को तत्काल लागू करो ।

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